Friday, 30 March 2012

असरदार इलाज: पाइल्स से रिलीफ के लिए ऐसे उपयोग करें अनार का छिलका

अनार एक ऐसा फल है जो खट्टा-मीठा और स्वाद से भरपूर होने के साथ ही अनार स्वरतंत्र, फेफड़े, यकृत, दिल, आमाशय तथा आंतों के रोगों पर बहुत फायदेमंद है। अनार में एंटीऑक्सिडेंट, एंटीवायरल और एंटी-ट्यूमर जैसे तत्व पाये जाते हैं। अनार विटामिन्स का एक अच्छा स्रोत है। इसमें विटामिन ए, सी और ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

अनार दिल के रोगों से लेकर पेट की गड़बड़ी और मधुमेह जैसे रोगों में फायदेमंद होता है। अनार का छिलका, छाल और पत्तियों को लेने से पेट दर्द में राहत मिलती है। पाचन तंत्र के सभी समस्याओं के निदान में अनार कारगर है। अनार की पत्तियों की चाय बनाकर पीने से पाचन संबंधी समस्याओं में भी बहुत आराम मिलता है। दस्त और कॉलरा जैसी बीमारियों में अनार का जूस पीने से राहत मिलती है। मधुमेह के रोगियों को अनार खाने की सलाह दी जाती है इससे कॉरोनरी रोगों का खतरा कम होता है।

अनार में लोहा की भरपूर मात्रा होती है, जो रक्त में आयरन की कमी को पूरा करता है। सूखे अनार के छिलकों का चूर्ण दिन में 2-3 बार एक-एक चम्मच ताजा पानी के साथ लेने से बार-बार पेशाब आने की समस्या ठीक हो जाती है। अनार के छिलकों को पानी में उबालकर, उससे कुल्ला करने से सांस की बदबू समाप्त हो जाती है। अनार के छिलकों के चूर्ण का सुबह-शाम एक-एक चम्मच सेवन करें या अनार के छिलकों को पानी में भिगो दें। फिर छिलकों को पानी से हटा दें जब भी प्यास लगे, इस पानी को पीने से बवासीर ठीक हो जाता है। खांसी में अनार के छिलके को मुंह में रखकर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू कर दें।

दमदार नुस्खा...खून और कैल्सियम की कमी का नेचुरल इलाज

विश्व का सबसे मीठा फल अंजीर स्वाद में जितना मीठा और स्वादिष्ट है। शरीर के लिए भी उतना ही लाभदायक है।कैल्सियम, रेशों व विटामिन ए, बी, सी से युक्त होता है और एक अंजीर में लगभग 30 कैलोरी होती हैं। अंजीर में एंटीऑक्सीडेंट तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो संक्रमण और रोग से लडऩे की क्षमता को बढ़ाते हैं।  इसमें कैल्सियम और लौह तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह दिमाग को शांत रखता है और शरीर को आराम देता है। डायबिटीज में अंजीर बहुत उपयोगी होता है। अंजीर में आयरन और कैल्सियम प्रचुर मात्रा में पाए जाने के कारण यह एनीमिया में लाभप्रद होता है।

 अंजीर में विटामिन्स ए, बी1, बी2, कैल्सियम, आयरन, फास्फोरस, मैगनीज, सोडियम, पोटैशियम और क्लोरीन पाया जाता है। इसका सेवन करने से डायबिटीज, सर्दी-जुकाम, अस्थमा और अपच जैसी तमाम व्याधियां दूर हो जाती हैं। घरेलू उपचार में ऐसा माना जाता है कि स्थाई रुप से रहने वाली कब्ज अंजीर खाने से दूर हो जाती है। जुकाम, फेफड़े के रोगों में पांच अंजीर पानी में उबाल कर छानकर यह पानी सुबह-शाम पीना चाहिए। दमा जिसमे कफ (बलगम) निकलता हो उसमें अंजीर खाना लाभकारी है इससे कफ  बाहर आ जाता है। सूखे अंजीर को उबालकर अच्छी तरह पीसकर गले की सूजन या गांठ पर बांधा जाए तो शीघ्र ही लाभ होता है।

साधारण कब्ज की अवस्था में गरम दूध में सूखे अंजीर उबालकर सेवन करने से प्रात:काल दस्त साफ आता है। ताजे अंजीर खाकर ऊपर से दूध पीना बहुत शक्ति देने वाले होते हैं।खून की खराबी में सूखे अंजीर को दूध एवं मिश्री के साथ लगातार एक सप्ताह सेवन करने से खून के विकार नष्ट हो जाते हैं। मधुमेह रोग में अन्य फलों की तुलना में अंजीर का सेवन विशेष लाभकारी होता है। अंजीर को अधिक मात्रा में सेवन करना उपयोगी होता है।अस्थमा की बीमारी में सुबह सूखे अंजीर का सेवन अच्छा माना गया है। टी.बी. के मरीज को ताजे अंजीर खाना फायदेमंद है।श्वेत प्रदर में भी इसका उपयोग गुणकारी है।

खूबसूरत और मजबूत मुस्कान के लिए...तीन आयुर्वेदिक सूत्र

चेहरे की सुंदरता में सबसे पहले नयन और नक्क्ष यानी आंख व नाक की सुंदरता के बाद दांतों की बनावट को अहम् माना जाता है।  अगर अच्छे नयन नक्क्ष के साथ ही दांत साफ  व सफेद ओर मजबूत दांत किसी भी चेहरे की खूबसूरती में चार चांद लगा सकते हैं।

आयुर्वेद के 3 कीमती सूत्र:

1. आजकल के बच्चों के दांत सफ़ेद-सुन्दर नहीं होते क्योंकि टूथपेस्ट में डले हुए फ्लोराईड से दांत और हमारे शरीर की हड्डियां गलने, खराब होने लगती हैं। इस पर अनेक शोध हो चुके हैं। अत: पेस्ट के स्थान पर किसी आयुर्वेदिक या प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बने हुए मन्जन का प्रयोग करना चाहिये।

2. कभी-कभी अवसर मिलने पर नीम, बबूल, बिल्व आदि पेड़ों से प्राप्त दांतुन भी करते रहना चाहिये।

3. मल-मूत्र त्याग के समय दांत दबाकर बैठें और बाद में कुल्ला कर लें। इससे भी दांत मजबूत बनते हैं। असल में मल-मूत्र त्याग के समय हमारे दांतों की जडों में कुछ तेजाबी पदार्थ एकत्रित होकर उनकी जडों को कमजोर बना देते हैं। कुल्ला करने से ये तेजाबी तत्व निकल जाते हैं। हमारे पूर्वज तभी तो मल-मूत्र त्याग के बाद सदा कुल्ला किया करते थे।

कैसे भी मुंहासे हों, घर पर बने इस आयुर्वेदिक तेल से साफ हो जाएंगे

आयुर्वेद में मुहांसों को यौवन पीडि़का भी कहा जाता है। यौवन पीडि़का यानी यौवन में पीड़ा देने वाली यह समस्या तकलीफ तो देती ही है साथ ही चेहरे भी भद्दा दिखाई देता है। इस उम्र में जिन्हें मुंहासों की समस्या हो उन युवाओं को अपने खाने में तेज मिर्च मसाले वाले, खट्टे तीखे पदार्थों को शामिल नहीं करना चाहिए।

दोनों वक्त, सुबह उठने के बाद और रात को सोने से पहले पेट साफ होना आवश्यक है। भोजन करते समय खाना ठीक से चबाना चाहिए। इतना करते हुए, मुहांसे ठीक करने के लिए, निम्रलिखित दवाई का सेवन करना चाहिए।



सामग्री-पलाश के फूल, लाल चंदन, लाख, मजीठ, मुलहठी, कुसुम, खस, पदमाख, नील, कमल,बड़ की जटा, पाकड़ की मूल, कमल केशर, मेंहदी, हल्दी, दारुहल्दी और अनन्तमूल-सभी 16 द्रव्य 50-50 ग्राम। तिल का तैल 200ml बकरी का दूध 200 ml और पानी 3 लीटर।



कैसे बनाएं-सब द्रव्यों को खूब कूट पीस कर महीन कपड़ छन चूर्ण कर लें। फिर तीन लीटर पानी में इन्हें इतनी देर तक उबालें कि पानी एक चौथाई बचे। इसे छान लें। अलग से केशर, मजीठ, मुलहठी, लाख व पतंग 10-10 ग्राम ले कर लुगदी बनाकर इसमें डाल दें। फिर तैल व बकरी का दूध डाल कर मंदी आंच पर पकाएं। जब पानी व दूध जल जाए, सिर्फ तैल बचे, तब उतार कर ठंड कर लें और छान कर बाटल में भर लें।



 मात्रा और सेवन विधि- अनामिका अंगुली से तैल मुहांसों पर लगा कर चेहरे को मलना चाहिए। एक बार सुबह स्नान करने से आधा घंटा पहले और दूसरी बार रात को सोने से आधा घंटा पहले इस तैल लगा कर मसाज करें। 

इन पर गौर करें तो कम उम्र में बाल न झड़ेंगे न सफेद होंगे


कम उम्र में बालों का झडऩा या बालों का सफेद होना आजकल युवाओं में एक आम समस्या बनती जा रही हैं। अधिकतर लोगों के बालों के झडऩे या सफेद होने के पीछे सिर्फ शारीरिक कारणों का ही हाथ नहीं होता है बल्कि मानसिक परेशानियां जैसे तनाव आदि की भी अहम् भूमिका होती है।

असल में बालों की समस्या के पीछे कई कारण होते हैं, अत: सभी कारणों पर काम किये बगैर समस्या का हल नहीं निकल सकता। लेकिन हमने यहां कुछ ऐसे सौ-प्रतिशत कारगर तरीके बताए हैं जो हर हाल में बालों की समस्या से छुटकारा दिला सकते हैं। तो आइये देखें कि वे उपाय क्या हैं-



- किसी जानकार व्यक्ति के मार्गदर्शन में क्षमतानुसार नियमित रूप से शीर्षासन का अभ्यास करें।
- प्रतिदिन 3 से 4 किलोमीटर तक मोर्निग वॉक पर अवश्य जाएं।

- ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं, चाय, कॉफी जैसी चीजों यथा संभव दूर रहें।

- रात को सोते समय नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।

- भोजन में सलाद और फलों का सेवन अवश्य करें।

- तनाव को अपने ऊपर हावी न होने दें, ध्यान आदि का सहारा लें।

जो लोग खूबसूरत दिखना चाहते हैं वो

खूबसूरती किसे अच्छी नहीं लगती ...चाहे खूबसूरत समा हो या हो खूबसूरत मौसम...या आपके भीतर और बाहरी खूबसूरती ..ये आपकी सोच सहित जीवन को खूबसूरत बनाने में अपना योगदान देती हैं ..ऐसे ही प्रकृति ने भी अपनी कारीगरी से जहाँ को खूबसूरत बनाने में कसर नहीं छोड़ी है। खूबसूरत फूल,फल और सब्जियां इसके जीते-जागते उदाहरण नहीं तो और क्या हैं ....अब इनकी खूबसूरती हमारी सुन्दरता के लिए भी जरूरी है..चौंक गए ना आप ...जी नहीं चौंकिए मत ये बिल्कुल सत्य है, फलों और सब्जियों का सीधा ताल्लुक आपकी और हमारी खूबसूरती से है। संत एंड्रीयू विश्वविद्यालय में 35 लोगों पर फल और सब्जियों को खिलाकर किया गया एक शोध यह साबित कर रहा है, कि अधिक से अधिक ताजे और प्रदूषण   मुक्त फलों और सब्जियों के सेवन से आप क्यूट दिखेंगे  और आपकी त्वचा में गजब की चमक और दमक आ जाएगी ..एक दिन में 2.9 प्रतिशत तक फलों और सब्जियों का सेवन आपको औरों की अपेक्षा अधिक स्वस्थ चुस्त और दुरुस्त रखता है ..। 

यदि यह भोजन का 3.3 वां हिस्सा हो, तो आपकी खूबसूरती में और  भी चार चाँद लगा देता है।  फल एवं सब्जियां 'केरेटीनओइड्स' से भरपूर होते हैं और ये हमारे त्वचा को बाह्य प्रदूषण,पराबैगनी किरणों से कोशिकाओं क़ी मृत्यु आदि को रोकने में मददगार होते  हैं इनके सेवन से हमें उम्रजनित रोग जैसे : हृदय,मधुमेह,गठिया आदि के साथ-साथ एवं कैंसर  जैसे रोगों की  संभावनाएं  भी कम हो जाती  हैं ..।पहले यह माना जाता था कि़ गाजर जैसी सब्जियां त्वचा   में  हल्की नारंगी सा  रंग देती हैं , शायद त्वचा में इन्ही नारंगी और पीले पिगमेंट की बढ़ोत्तरी औरों को खूबसूरती का अपील करती हों  ...इस शोध में यह पाया गया कि जो लोग भोजन में पर्याप्त मात्रा में फलों और सब्जियों का सेवन कर रहे थे,वे अधिक फोटोजेनिक और खूबसूरत देखे गए ...तो हों जाएं तैयार बस...आपकी खूबसूरती का राज छिपा है,फल और सब्जियों में ....बस ध्यान रहे फल और सब्जियां ताजी और प्रदुषणमुक्त और खूबसूरत हों ...!

दही खाते समय साधारण बातें याद रखें...ये आपके लिए अमृत बन जाएगा

आज की भागदौड भरी जिंदगी में पेट की बीमारियों से परेशान होने वाले लोगों की संख्या सब से ज्यादा होती है। इस समस्या से परेशान लोग यदि अपनी डाइट में प्रचूर मात्रा में दही को शामिल करें तो अच्छा होगा। दही का नियमित सेवन करने से शरीर कई तरह की बीमारियों से मुक्त रहता है। दही में अच्छी किस्म के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं लेकिन इसके लिए जरुरी है दही के सेवन के समय कुछ बातों का ध्यान रखना। आयुर्वेद में माना गया है कि नीचे लिखी बातों को ध्यान में रखकर दही का सेवन करने पर वह शरीर के लिए अमृत के समान होता है। 

- दही हमेशा ताजी ही प्रयोग करनी चाहिए।

- रात्रि में दही के सेवन को हल्का काला नमक,शक्कर या शहद के साथ ही किया जाना चाहिए। 

- मांसाहार के साथ दही के सेवन को विरुद्ध माना गया है।

- दही दस्त या अतिसार के रोगियों में मल को बांधनेवाली होती है,पर सामान्य अवस्था में अभिस्यंदी अर्थात कब्ज कर सकती है। 

- ग्रीष्मऋतु में जब लू चल रही हो तब दही क़ी लस्सी ऊर्जा प्रदान करनेवाली तथा शरीर में जलीयांश की कमी को दूर करती है। 

- नित्य सेवन से दही का प्रभाव शरीर के लिए सात्म्य होकर गुणकारी हो जाता है। 

- मधुमेह से पीडि़त रोगियों में दही का सेवन संयम से करना चाहिए।

- दही का सेवन कुछ आयुर्वेदिक औषधियों में सह्पान के साथ कराने का भी विधान है, जिससे दवा का प्रभाव बढ़ जाता है।

- बच्चों में ताज़ी दही पेट सम्बंधी विकारों को दूर करती है। - दही एवं कच्चे केले को पकाकर आंवयुक्त अतिसार (म्युकोइड स्टूल ) को रोका जा सकता है। - जब खांसी,जुखाम,टांसिल्स एवं, सांस की तकलीफ हो तब दही का सेवन न करें तो अच्छा। 

- दही सदैव ताज़ी एवं शुद्ध घर में मिटटी के बर्तन क़ी बनी हो तो अत्यंत गुणकारी होती है। 

- त्वचा रोगों में दही का सेवन सावधानी पूर्वक चिकित्सक के निर्देशन में करना चाहिए।

- मात्रा से अधिक दही के सेवन से बचना चाहिए। 

- अर्श (पाईल्स ) के रोगियों को भी दही का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए। तो ऐसी है दही ,बड़ी गुणकारी,रोगों में दवा पर सावधानी से करें प्रयोग।

दिनभर में थोड़ी देर ऐसे सांस लेंगे...तो दिमाग तलवार से भी तेज चलने लगेगा

हर जीव को जीवित रहने के लिए सांस लेना जरूरी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं सांस लेने की क्रिया से ही हमारे स्वास्थ्य को बहुत लाभ प्राप्त होता है। इसलिए योगा में प्राणायाम को शरीर के स्वास्थ्य को बनाएं रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। प्राणायाम से मन को शांति मिलती है और साथ ही दिमाग तेजी से कार्य करने लगता है। चंद्र भेदन प्राणायाम से हमारे तर्क शक्ति बढ़ती है और दिमाग दौडऩे लगता है।चंद्र भेदन प्राणायाम की विधि

किसी भी शांत एवं स्वच्छ वातावरण वाले स्थान पर सुखासन में बैठ जाएं। अब नाक के बाएं छिद्र से सांस अंदर खींचें। पूरक अथवा सांस धीरे-धीरे गहराई से लें। अब नाक के दोनों छिद्रों को बंद करें। अब सांस को रोक कर लें (कुंभक करें), जालंधर बंध और मूलबंध लगाएं। बंध शिथिल करें और नाक के दाएं छिद्र से सांस छोड़ दें। यही क्रिया कम से कम 10 बार करें।

सावधानी

एक ही दिन में सूर्य भेदन प्राणायाम और चंद्र भेदन प्राणायाम न करें।

प्राणायाम के लाभ

शरीर में शीतलता आती है और मन प्रसन्न रहता है। पित्त रोग में फायदा होता है। यह प्राणायाम मन को शांत करता है और क्रोध पर नियंत्रण लगाता है। अत्यधिक कार्य होने पर भी मानसिक तनाव महसूस नहीं होता। दिमाग तेजी से कार्य करने लगता है। हाई ब्लड प्रेशर वालों को इस प्राणायाम से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

Thursday, 29 March 2012

इसे सिर्फ सूंघने से ही हो जाएगा सिरदर्द का इलाज

नींबू का अनोखा गुण यह है कि इसकी खट्टी खुशबू खाने से पहले ही मुंह में पानी ला देती है। चांट हो या दाल कोई भी व्यंजन इसके प्रयोग से और भी सुस्वादु हो जाता है। यह फल खट्टा होने के साथ-साथ बेहद गुणकारी भी है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि नींबू के पत्ते भी बहुत उपयोगी होते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं नींबू के पत्तों के कुछ ऐसे ही रामबाण प्रयोगों के बारे में-

कृमि रोग-

10 ग्राम नींबू के पत्तों का रस (अर्क) में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से 10-15 दिनों में पेट के कीड़े मरकर नष्ट हो जाते हैं। नींबू के बीजों के चूर्ण की फं की लेने से कीड़ों का विनाश होता है।

सिरदर्द या माइग्रेन-

नींबू के पत्तों का रस निकालकर नाक से सूंघे, जिस व्यक्ति को हमेशा सिरदर्द बना रहता है, उसे भी इससे शीघ्र आराम मिलता है।

नाक से खून आना-

ताजे नींबू का रस निकालकर नाक में पिचकारी देने से नाक से खून गिरता हो, तो बंद हो जाएगा।

आंखों का दोस्त है धनिया, ऐसे उपयोग करेंगे तो आंखें स्वस्थ हो जाएंगी

धनिये का उपयोग खाने का स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनिया आपको जाने-अनजाने कई बीमारियों से निजात भी दिलाता है। आइये जानें कि धनिया किन-किन बीमारियों या परेशानियों में मददगार हो सकता है...

आंखों के रोग:

आंखों के लिए धनिया बड़ा गुणकारी होता है। थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा कर के, मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें। इसकी दो बूंद आंखों में टपकाने से आंखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती हैं। 

नकसीर:



हरा धनिया 20 ग्राम व चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें। सारा रस निचोड़ लें। इस रस की दो बूंद नाक में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर मलने से खून तुरंत बंद हो जाता है।

गर्भावस्था में जी घबराना:

गर्भ धारण करने के दो-तीन महीने तक गर्भवती महिला को उल्टियां आती है। ऐसे में धनिया का काढ़ा बना कर एक कप काढ़े में एक चम्मच पिसी मिश्री मिला कर पीने से जी घबराना बंद होता है।

पित्ती:

शरीर में पित्ती की तकलीफ  हो तो हरे धनिये के पत्तों का रस, शहद और रोगन गुल तीनों को मिला कर लेप करने से पित्ती की खुजली में तुरंत आराम होता है।

दूध पीने वाले इन बातों को याद रखें...बनेंगे हेल्दी, मिलेगा पूरा कैल्सियम

दूध मनुष्य की अधिकांश पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। माना जाता है कि दूध में भरपूर मात्रा में कैल्सियम पाया जाता है। हर उम्र के लोगों को विशेषकर औरतों को दूध का सेवन जरूर करना चाहिए। दूध कितना पीया जाए और कब पीया जाए तो लाभ होगा और कब पीएं तो हानि होगी। इन बातों को लेकर संशय हर आम इंसान को होता है। अगर आपको भी ये संशय है तो हम आपको बताते हैं कि कब दूध पीना आपको फायदा पहुंचाएगा और कब नुकसान।



- सुबह खाली पेट दूध नहीं पीना चाहिए। इससे अमाशय की स्थिति ठीक नहीं हो पाती इससे पीने वाले को गैस की समस्या हो सकती है। हां लेकिन जो अच्छी पाचन शक्ति वाले हैं वे नियमित रूप से दूध पी सकते हैं। व्यायाम करने वालों के लिए सुबह दूध पीना नुकसानदायक नहीं होता है।



- नाश्ते के बाद यानी नमकीन या नमक, मिर्च-मसाले से बनी चीजों के साथ या उन्हें ग्रहण करने के बाद दूध नहीं पीना चाहिए। इससे हानि हो सकती है। लेकिन हां चाय व कॉफी, पानी लेने पर किसी तरह का नुकसान नहीं होता। 



- सोते समय दूध पीने के मामले में जरूरी शर्त यह है कि शाम का भोजन किए तीन घंटे हो चुके हों ताकि अमाशय खाली हो चूका हो। सोते समय दूध पीने से लाभ होता है क्योंकि इसे पीने के बाद सो जाने से कोई पदार्थ पेट में नहीं जाता इसलिए दूध आसानी से पच जाता है और गुण करता है।

हाइब्लडप्रेशर की घरेलू आयुर्वेदिक दवा, ऐसे बनाकर खाएंगे तो स्वस्थ हो जाएंगे

हाइब्लडप्रेशर एक ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी को रोज दवाई खानी पड़ती है। लेकिन अगर इसका आयुर्वेदिक तरीके से इलाज किया जाए तो इसे प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जो इन रोगों पर नियंत्रण करके शरीर को स्वस्थ बनाती है। कुछ ऐसी ही जड़ी बूटियों के मिश्रण से तैयार नुस्खा यहां बताया जा रहा है, जो उच्चरक्तचाप, अनिद्रा, मानसिक तनाव, दिल की धड़कनों का बढऩा, शरीर में जलन सी रहना आदि व्याधियों पर बहुत असरकारक  है।

सामग्री- अश्वगंधा, जटामांसी, नागरमोथा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, पुष्कर मूल, तगर, कपूर कचरी और बड़ी इलायची। 

बनाने की विधि- इन सबकी बराबर-बराबर मात्रा लेकर कूट-पीसकर कपड़े से छान कर महीन चूर्ण तैयार कर लें। बस तैयार है, अनमोल नुस्खा। इसे साफ -सूखी शीशी में भरकर रख दें। रोग तथा रोगी की स्थिति के अनुसार डेढ़ से 3 ग्राम तक की मात्रा में रात में सोने से पहले पानी से लें। यदि रोग बढ़ा हुआ है, तब दिन में भी एक बार इतनी ही मात्रा में और ले सकते हैं। आयुर्वेदिक पद्धति पर आधारित उक्त नुस्खा भले ही तुरंत असर न दिखाए लेकिन यह रोग की जड़ पर प्रहार कर धीरे-धीरे उसे खत्म कर देता है।

मुंहासे आउट करने के लिए करें दही-शहद का ये देसी प्रयोग

यौवन की दहलीज पर खड़े लड़के या लड़की के शरीर में होने वाले हार्मोन्स परिवर्तनों के कारण मुंहासों का होना आम बात है। कई बार हार्मोन्स परिवर्तन इतना असंतुलित रूप से होता है कि अत्यधिक मुंहासों के कारण अच्छे भले चेहरे की रंगत और रौनक बिगड़ जाती है। आइये जानें कुछ ऐसे आसान घरेलू उपायों के बारे में जो मुंहासे और उनसे बने दागों को जड़ से मिटाकर आपके चेहरे को फिर से आकर्षक और खूबसूरत बना सकते हैं- 



छोटे व घरेलू प्रयोग



1. जामुन की गुठली को पानी में घिसकर चेहरे पर लगाने से मुंहासे दूर होते हैं। 



2. दही में कुछ बूंदें शहद की मिलाकर उसे चेहरे पर लेप करना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों में मुंहासे दूर हो जाते हैं।



3. तुलसी व पुदीने की पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें तथा थोड़ा-सा नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से भी मुंहासों से निजात मिलती है। 



4. नीम के पेड़ की छाल को घिसकर मुंहासों पर लगाने से भी मुहांसे घटते हैं। 



5. जायफल में गाय का दूध मिलाकर मुंहांसों पर लेप करना चाहिए। 



6. हल्दी, बेसन का उबटन बनाकर चेहरे पर लगाने से भी मुंहासे दूर होते हैं। 



7. नीम की पत्तियों के चूर्ण में मुलतानी मिट्टी और गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बना लें व इसे चेहरे पर लगाएं। 



8. नीम की जड़ को पीसकर मुंहासों पर लगाने से भी वे ठीक हो जाते हैं।



9. काली मिट्टी को घिसकर मुंहासों पर लगाने से भी वे नष्ट हो जाते हैं। 

नाश्ते में बस इसे शामिल कर लें...डायबिटीज और कोलेस्ट्रोल कंट्रोल में रहेंगे

आयुर्वेद में बादाम को कई तरह के गुणों से भरपुर और दिमाग के लिए बहुत लाभदायक माना गया है। लेकिन अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन तथा पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि बादाम खाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटता है साथ ही इंसुलिन को सक्रिय करता है। इससे ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। भारत में इस बीमारी से हैरान-परेशान लोगों की संख्या दिनो-दिन बढ़ती ही जा रही है। आंकड़े तो बताते हैं कि अकेले भारत देश में ही डायबिटीज से ग्रसित लोगों की संख्या 5 करोड़ के स्तर को पार कर चुकी है। 

बादाम डायबिटीज में फायदेमंद है यह बात तो हालिया शोध से पता चली है लेकिन इसके दूसरे कई चमत्कारी गुणों के विषय में तो अधिकांश भारतवासी परिचित हैं ही। कमजोर स्मरण शक्ति, मानसिक तनाव, स्नायुदौर्बल्य, हड्डियों की कमजोरी, बौद्धिक क्षमता की कमी...आदि कई बेहद कठिन समस्याओं में भी बादाम का प्रयोग बहुत ही फायदेमंद है।

Wednesday, 28 March 2012

देसी इलाज : महिलाओं के वो मुश्किल दर्द भरे दिन हो जाएंगे आसान

महिलाओं के लिए मासिक धर्म वो कुछ दिन कठिनाई भरे होते हैं। मासिक धर्म के दिनों में होने वाली परेशानी व दर्द से मुक्ति के लिए घरेलू इलाज भी असरदार होते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं मीठे नीम के पत्ते का एक घरेलू प्रयोग जो उन दर्द भरे दिनों को आसान बना देगा। 

वैसे तो मीठा पत्ता यानी करी पत्ता का उपयोग छोंक में डालकर भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन साथ ही ये एक अच्छी औषधी भी है। कठिनाई और दर्द के साथ मासिक धर्म होने पर करी पत्ते का नियमित रूप से सेवन करने पर इस शिकायत से आश्चर्यजनक ढंग से मुक्ति मिल जाती है।

कैसे करें सेवन- इसके लिए मीठे नीम के पत्तों को सुखाकर इनका बारीक पाउडर तैयार कर लें। यह चूर्ण एक चाय चम्मच भर मात्रा में गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। सवेरे और शाम दिन में दो बार यह प्रयोग दोहराएं। कढ़ी, दाल, पुलाव आदि के साथ करी पत्ते का नियमित सेवन बेहद फायदेमंद है।

इशारे जो समझा देते हैं......पथरी होने वाली है

पेट दर्द या मूत्र में रूकावट को लोग सामान्यत: अधिक गंभीरता से नहीं लेते। लेकिन कई बार-बार होने वाला पेटदर्द किसी बड़ी बीमारी का इशारा भी हो सकता है। पथरी एक ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी को असहनीय पीड़ा सहन करनी पड़ती है। सामान्यत: पथरी हर उम्र के लोगों में पाई जाती है लेकिन फिर भी यह बीमारी महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक तकलीफ देने वाली होती है।

पथरी के लक्षण- कब्ज या दस्त का लगातार बने रहना , उल्टी जैसा होना बैचेनी, थकान, , तीव्र पेट दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बने रहना। मूत्र संबंधी संक्रमण साथ ही बुखार, कपकपी, पसीना आना, पेशाब  के साथ-साथ दर्द होना ,बार बार और एकदम से पेशाब आना, रुक रुक कर पेशाब आना, रात में अधिक पेशाब आना, मूत्र में रक्त भी आ सकता है, पेशाब का रंग असामान्य होना।

पथरी से बचने के तरीके- ज्यादा पानी पीएं।

- आहार में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा कम हो।

- चाकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, पालक आदि का सेवन बहुत ज्यादा न करें।

- आवश्यकता से अधिक कोल्डड्रिंक्स भी नुकसान पहुंचा सकती हैं।

- विटामिन-सी की भारी मात्रा न ली जाय।

- नारंगी आदि का रस (जूस) लेने से पथरी का खतरा कम होता है।

- हर महीने में पांच दिन एक छोटी चम्मच अजवाइन लेकर उसे पानी से निगल जाएं। 

पथरी के कुछ देसी इलाज-  तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।

- एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस-बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, उसके बाद मूली को भून लें,उसके बाद मूली से बीज निकाल कर पीस लें। सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे,पथरी और पेशाब वाली बीमारियों में फायदा मिलेगा।

- जीरे को मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें या शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।

- यदि मूत्र पिंड में पथरी हो और पेशाब रुक रुक कर आना चालू हो गया है तो एक गाजर को नित्य खाना चालू कर देना चाहिये।

गिरते बालों का हर्बल इलाज:बनाकर लगाएं ये शैम्पू, कंडिशनिंग भी हो जाएगी

बालों की समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाई जाती है। बाल झडऩे के कई कारण हो सकते हैं जैसे प्रदूषण, हार्मोनल परिवर्तन, अनियमित दिनचर्या व खान-पान, मौसम आदि। अगर आप भी झड़ते बालों से परेशान हैं तो नीचे लिखे हर्बल उपाय जरुर आजमाएं। 

- बालों के झडऩे का एक कारण डेंड्रफ या रूसी की समस्या भी होती है, इसके लिए रात में बालों की जड़ों में भृंगराज या आंवलें के तेल को खूब अच्छी तरह से नियमित गहराई तक लगाएं,अपना तौलिया अलग इस्तेमाल करें,रासायनिक साबुन  को बालों में लगाने से बचें, इसके स्थान पर मेडीकेटेड साबुन या शैम्पू का इस्तेमाल करें, अगर हो सके तो एक बार बालों को उतरवा लें यह आपके लिए निश्चित रूप से फायदेमंद होगा। नियमित रूप से अपने भोजन में प्रोटीन की उचित मात्रा का प्रयोग करें, ताकि हेयर फालिकल्स मजबूत हो सकें ,इस हेतु दूध,अंडे और दालों का उचित मात्रा में प्रयोग आवश्यक है,बालों में अनावश्यक रूप से रासायनिक कास्मेटिक उत्पादों के प्रयोग से बचें,निश्चित रूप से बालों का घनत्व बढ़ जाएगा।

-आरोग्यवर्धिनी वटी दो-दो गोली की मात्रा में सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लें ,साथ ही अविपत्तिकर चूर्ण एवं सितोपलादि चूर्ण को सम मात्रा में एक से दो चम्मच लें ,यह आपकी पेट से सम्बंधित परेशानियों को दूर करेगा। भृंगराज एवं आंवले लें के ताजे पत्तों को पीस कर बालों की जड़ों में लगायें ,साथ ही नीम,शिकाकाई ,आंवला,कालातिल,रीठा इन सब को साथ मिलाकर एक पेस्ट बना लें, यह आपके लिए एक हर्बल शैम्पू का काम करेगा जो बालों को कंडिशनिंग के साथ ही जड़ों को मजबूत बनाएगा। पेट साफ रखने के लिए केवल त्रिफला के चूर्ण का प्रयोग करें ,यह आपके बालों के जड़ों को भी मजबूती प्रदान करेगा। 

टेस्टी-टेस्टी नुस्खा: कर लीजिए बढ़ते वजन पर कंट्रोल आसानी से

यदि हम आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों को माने तो चाह हमारे स्वास्थ्य के लिये बेहद हानिकारक होती है। लेकिन चाय में तमाम खामियों के साथ ही एक बड़ी खूबी भी होती है और वह यह है कि चाय बढ़ते हुए वजन को कंट्रोल करने में बेहद मददगार होती है। यह बात एक हालिया वैज्ञानिक शोध से पता चली है।



शोध से ज्ञात हुआ है कि चाय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो वजन कम करने में सहायक होते हैं। लेकिन हाल ही में हुई  एक नई रिसर्च के मुताबिक अगर चाय में दूध मिला दिया जाए तो मोटापे से लडऩे वाले तत्व उतने प्रभावकारी नहीं रहते। भारतीय वैज्ञानिक की ओर से की गई रिसर्च के मुताबिक चाय में वसा कम करने के कई तत्व होते हैं, लेकिन दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन वसा कम करने की इसकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है।



चाय में पाए जाने वाले फ्लेविन्स और थिरोबिगिन्स शरीर की चर्बी घटाने और कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक होते हैं। असम की टी रिसर्च एसोसिएशन के रिसर्चरों ने चूहों पर शोध किया और उसमें यह पाया गया कि उच्च वसायुक्त भोजन खाने वाले चूहों का वजन घटाने में फ्लेविन्स और थिरोबिगिन्स जैसे तत्वों ने काफी अहम भूमिका निभाई। लेकिन गाय के दूध में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने के कारण इनका प्रभाव कम हो जाता है।

संतरे ही नहीं छिलको का भी लीजिए स्वाद...ये हैं गजब का इलाज


 संतरों का खट्टा-मीठा स्वाद तो सभी को लुभाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ संतरे ही नहीं बल्कि संतरे के छिलके भी हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। संतरे के छिलकों में विटामिन सी मात्रा में मौजूद रहता है। इसी कारण ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। विटामिन सी होने के कारण ही यह त्वचा को जवान रखता है और बालों को झडऩे से रोकता है।

संतरे के छिलके का उपयोग-

- संतरे के छिलके प्राकृतिक रूप से बढ़ते वजन को नियंत्रित करते हैं।

- संतरे के छिलके कैंसर से बचाते हैं।

- संतरों के छिलके पीस कर लेप लगाने से अथवा छिलके रगडऩे से कुछ ही दिनों में मुंहासे मिट जाते हैं।

- संतरे के छिलकों को पानी में पीस कर लेप लगाने से खुजली मिटती है और इसे लगाने से फुंसियों से भी छुटकारा मिलता है।

- संतरे के पिछले को पीस कर इसके पाउडर से बाल मुलायम व चमकदार बनते हैं।

- संतरे के छिलके का पाउडर बनाकर उसमें कुछ बुंदें नींबू के रस की डाले और थोड़ा सा दही डालकर मिलाएं और चेहरे पर लगाएं। इससे त्वचा कोमल और आकर्षक बन जाती है।

- संतरे के छिलकों में पेक्टिन पाया जाता है जिसे प्राकृतिक फाइबर के रूप में भी जाना जाता है। इसकी वजह से आपकी पेट की सारी बीमारियां दूर रहती हैं। यह कब्ज को दूर करता है।

- संतरे में विटामिन ए पाया जाता है। इससे शरीर में रक्त संचार भी दुरुस्त करता है।

- संतरे के छिलको के सेवन से कैल्सियम की कमी जल्द ही पूरी हो जाती है।

एक कप दूध के इस नुस्खे से टांसिल्स की प्रॉब्लम ठीक हो जाएगी

अधिकतर मौसम बदलने पर लोगों में टांसिल्स की समस्या देखने में आती है। इसीलिए मौसम के परिवर्तन पर या दिन के समय घर से बाहर रहने वाले या किसी भी कारणवश तेज धूप और गर्मी में रहने के बाद लोग एकदम ठंडा पानी पी लेने पर टांसिल्स की समस्या हो जाती है। यही कारण है कि तापमान में बार-बार होने वाले बदलाव के कारण लोगों को खानपान का खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा ये कुछ घरेलु उपाय हैं जिन्हें अपनाकर भी टांसिल्स की समस्या में राहत मिलती है।

- एक कप दूध में आधा छोटा चम्मच पिसी हल्दी मिलाकर उबालें। छानकर चीनी मिलाकर पीने को दें। विशेषरूप से सोते समय पीने पर तीन चार दिन में आराम मिल जाता है।

- कच्चे पपीते को दूध में मिलाकर गरारे करें। हफ्ता भर करने से यह समस्या दूर हो जायेगी।

-जब खांसी,जुखाम,टांसिल्स एवं, सांस की तकलीफ  हो तब दही का सेवन न करें तो अच्छा होगा।

- टांसिल्स में भी गाजर का रस पीने की सलाह दी जाती है। आराम मिलता है।

- मेथी के चूर्ण तथा काढ़े से स्नायु रोग,बहु-मूत्र ,पथरी,टांसिल्स,में लाभ होता है।

- गुनगुने पानी में नमक मिलाकर गरारे करें।

घंटो बैठे रहने के बाद भी मोटे नहीं होना चाहते

अधिकतर लोग बाहर के चटर-पटर खाने और लंबी सिटिंग के चलते ओवरवेट हो जाते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसी ही प्राब्लम है तो आप को भी तली हुई चीजों के बजाए। पॉवर फूड लेना चाहिए। पॉवर फूड में वे चीजें आती हैं जिनमें अधिक फेट ना हो और भरपूर एनर्जी भी मिले। फ्रुटस, पापकार्न, और  अखरोट ऐसी ही कुछ चीजे हैं। लेकिन ऑफिस में अगर आप अखरोट खाएंगे तो न सिर्फ आपकी भूख कम होगी बल्कि तनाव भी कम होगा। 

अखरोट में आयरन, कापर, कोबाल्ट, पोटेशियम, सोडियम, फोसफोरस, मैग्निशियम, कैल्शियम और आयोडीन जैसे खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं।इसमें  बहुत से एंटी आक्सीडेंट होते हैं और इसके अतिरिक्त अखरोट में गैर सेचुरेटिड फैटी एसिड, 20 से अधिक अमीनो एसिड तथा विटामिन ए, ई , बी, पी और सी भी पाया जाता है।अखरोट से न केवल तनाव दूर होता है, बल्कि यह कोलेस्ट्राल को कम कर रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है। जिन लोगों में खराब प्रकार का कोलेस्ट्रॉल होता है उनका रक्तचाप अधिक होता है और उन्हें तनाव की भी शिकायत रहती है। 

ऐसे लोग यदि तीन सप्ताह तक खूब अखरोट खाएं तो अखरोट प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।बहुत से शोधों से ऐसा पता चला है कि अखरोट से एल्जाइमर बीमारी का खतरा कम होता है। अखरोट को दिमाग के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है क्योंकि इसमें विटामिन ई अधिक मात्रा में होती है।अखरोट में फाइबर, विटामिन बी, मैल्नीमशियम और एण्टी् आक्सिडेंट्स अधिक मात्रा में होते हैं और यह बालों और त्वचा को स्वस्थ रखता है।

एलोवेरा के आसान प्रयोग : इनसे बाल घने और चेहरा चिकना हो जाएगा

एलोवेरा पौधे को घृतकुमारी, कुमारी, घी-ग्वार भी कहा जाता है। एलोवेरा का जीवन देने वाली यानी संजीवनी आयुर्वेदिक औषधी भी मानी जाती है। घी ग्वार को पेट के लिए अमृत माना गया है। साथ ही स्कीन प्रॉब्लम्स और हेयर प्रॉब्लम्स के लिए भी इसे वरदान माना गया है। एलोवेरा के इन गुणों को तो सभी जानते हैं। लेकिन इसका उपयोग कैसे किया जाए ये बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं एलोवेरा के ऐसे ही कुछ प्रयोग जिनसे आपका चेहरा चमकने लगेगा और बालों की समस्याएं भी दूर हो जाएंगी।

- एलोवेरा के पत्तों के रस में नारियल के तेल की थोड़ी मात्रा मिलाकर कुहनी, घुटने व एडिय़ों पर कुछ देर लगाकर धोने से इन स्थानों की त्वचा का कालापन दूर होता है।

- सुबह उठकर खाली पेट एलोवेरा की पत्तियों का सेवन करने से पेट में कब्ज की समस्या से निजात मिलती है।

- गुलाबजल में एलोवेरा का रस मिलाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा की खोई नमी लौटती है। 

- एलोवेरा के पल्प में मुलतानी मिट्टी या चंदन पावडर मिलाकर लगाने से त्वचा के कील-मुंहासे आदि मिट जाते हैं। 

- एलोवेरा जेल को सिर्फ आधा लगाने के बाद आप उनको धो सकते हैं। ऐसा आप सिर्फ महीने में दो बार भी करते हें तो आपको इसके परिणाम कुछ ही महीनों में दिखाई देने लगेंगे। 

- तैलीय बालों के लिए ऐलोवेरा विशेष रूप से फायदेमंद है। एलोवेरा जेल से गंजेपन की समस्या को भी दूर किया जा सकता है।

Tuesday, 27 March 2012

कई तरह के दर्द की एक दवा हैं चुटकी भर हींग के ये...

मसालों का उपयोग भारतीय भोजन में प्राचीन समय से होता आ रहा है। इन मसालों में से ही कई मसाले ऐसे भी है,जो सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाते हैं बल्कि अगर सही तरीके से इनका उपयोग किया जाए तो ये कई बीमारियों को भी दूर करते हैं। ऐसा ही एक मसाला है हींग। हींग वैसे तो कई तरह से उपयोग में लाई जाती है,लेकिन इसे आयुर्वेद में एक बहुत अच्छा दर्द निवारक माना गया है। वैद्यों का मानना है कि हींग को हमेशा भूनकर उपयोग में लाना चाहिए।



- एक कप गर्म पानी में एक चम्मच हींग का पाउडर घोलें। इस घोल में सूती कपड़े को भिगोकर पेट के उस हिस्से की सिकाई करें जहां दर्द हो रहा है। थोड़ी ही देर में दर्द से राहत मिलेगी।



- हींग में जरा सा कपूर मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से दांत दर्द बंद हो जाता है ।



- भुनी हुई हींग, काली मिर्च ,पीपल काला नमक समान मात्रा में लेकर पीस लें। रोजाना चौथाई चम्मच यह चूर्ण गर्म पानी से सेवन करें। गैस और कब्ज की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी।



- पांच ग्राम भुनी हुई हींग, चार चम्मच अजवाइन, दस मुनक्का, थोड़ा काला नमक सबको कूट पीसकर चौथाई चममच तीन बार नित्य लेने से ,उल्टी होना ,जी मिचलाना ठीक हो जाता है।



- अदरक की गांठ में छेद करके इसमें जरा सा हींग डालकर काला नमक भर कर ,खाने वाले पान के पत्ते में लपेटकर धागा बांध कर गीली मिटटी का लेप कर दें।इसे आग में डाल कर जला लें ,जल जाने पर पीसकर मूंगफली के दाने के बराबर आकार की गोलियां बना लें। एक एक गोली दिन में चार बार चूसें। जल्द ही आराम मिलेगा।



- पैर फटने पर नीम के तेल में हींग डालकर लगाने से आराम मिलता है।



- थोड़ी सी हींग को गुड में लपेटकर गरम पानी से लें। गैस का पेट दर्द ठीक हो जायेगा।



- दांत दर्द में अफीम और हींग का फाहा रखें तो आराम मिलता है।



- हींग को पानी में घोलकर लेप बनाकर उस पर लगाने से चर्म रोग में आराम मिलता है।

ये हैं कमरदर्द का परमानेंट इलाज

आधुनिक जीवनशैली पर चलने वाला हर एक व्यक्ति आज किसी न किसी शारीरिक या मानसिक बीमारी से ग्रस्त है।  इन सामान्य दिखने वाली बेहद घातक बीमारियों में से ही एक है कमर दर्द। अगर आप कमर दर्द से परेशान हैं तो इससे बचने के लिए आप के सामने प्रस्तुत हैं कुछ रामबाण नुस्खे जो कि बहुत कारगर तो हैं ही साथ ही इनका कोई भी साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। 

कमर दर्द के लिए रामबाण नुस्खे -



1. अजवाइन को तवे के ऊपर थोड़ी धीमी आंच पर सेंक लें तथा ठंडा होने पर धीरे-धीरे चबाते हुए निगल जाएं। लगातार 7 दिनों तक यह प्रयोग किया जाए तो आठवे दिन से कमर दर्द में 100 फीसदी लाभ होता है।

2. जहां दर्द होता होता है हो वहाँ 5 मिनट तक गरम सेंक, और दो मिनट ठंडा सेंक देने से तत्काल लाभ पहुंचता है। 

3. सुबह सूर्योदय के समय 2-3 मील लंबी सैर पर जाने वालों को कमर दर्द की शिकायत कभी नहीं होगी।

4. नियमित रूप से चक्रासन करें।

सावधानियां- नीचे लिखी बातों का भी जरुर ध्यान रखें।

- नियमित रूप से पैदल चलें। यह सर्वोत्तम व्यायाम है।

- अधिक समय तक स्टूल या कुर्सी पर झुककर न बैठें।

- शारीरिक श्रम से जी न चुराएँ। शारीरिक श्रम से मांसपेशियां पुष्ट होती हैं।

- एक सी मुद्रा में न तो अधिक देर तक बैठे रहें और न ही खड़े रहें।

- किसी भी सामान को उठाने या रखने में जल्दबाजी न करें।

- भारी सामान को उठाकर रखने की बजाय धकेल कर रखना चाहिए।

- ऊंची एड़ी के जूते-चप्पल के बजाय साधारण जूते-चप्पल पहनें।

- सीढिय़ां चढ़ते-उतरते समय सावधानी बरतें।

- कुर्सी पर बैठते समय पैर सीधे रखें न कि एक पर एक चढ़ाकर।

- अधिक ऊंचा या मोटा तकिया न लगाएं। साधारण तकिए का इस्तेमाल बेहतर होता है।

बेहद सरल उपाय: ये कब्ज के लिए रामबाण

शरीर चुस्त-दुरुस्त हो तो इंसान का मन-मस्तिष्क भी पूरी तरह से सक्रिय बना रहता है। हमारे शरीर में पेट एक ऐसा केन्द्र है जिसको यदि किन्हीं उपायों से फिट-फाट रखा जा सके तो शरीर और मन दोनों जोश और उत्साह से भरपूर रहते हैं। आइये जाने उन बेहद सरल घरेलू उपायों को जो कब्जियत को तो जड़ से मिटाते ही हैं साथ ही पेट के पहले जैसे प्राकृतिक स्वरूप को भी फिर से लोटाते हैं.... 

1. गलत समय पर गलत खान-पान के चक्कर में व्यक्ति आए दिन कब्ज़ से परेशान रहता है, इससे बचने के लिए त्रिफला  यानी हरड़, बहेड़ा और आंवला के मिक्सर चूर्ण को लगातार 6 माह तक बराबर पानी के साथ सोते समय लेने से कब्ज़ की परेशानी हमेशा के लिये दूर हो जाती है।

2. जो रोगी काफी कमजोर हो या बालक हो तो आंवला पीस कर नाभि के चारों और दीवाल सी बना दो, उसी के भीतर अदरक का रस भर दो, दो घंटे रोगी को लेटा रहने दो, जुलाब की बगैर किसी तेज हानिकारक दवाई के ही महीनों पुराना सारा मल साफ  हो जाता है। 

3. सुबह खाली पेट गुनगुने गर्म पानी में एक चुटकी काला नमक डालें और उसे पीकर 15 मिनट तक घूम लें कब्ज में अवश्य ही राहत मिलेगी। 

4. भोजन में काला नमक, आधा नीबू, सिका जीरा, हींग, और मौसम के अनुसार उपलब्ध सलाद को शामिल करने से कब्ज और पेट की दूसरी तमाम समस्याओं से स्थाई रूप से छुटकारा पाया जा सकता है। 

चार चम्मच सरसों के तेल का ये उपचार हर चोट के घाव को भर देगा

आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित ग्रंथों में घावों को जल्दी भरने के लिए अनेक प्रयोग बताए गए हैं। लेकिन फिर भी हर तरह के घाव को भरने के लिए घरेलू हल्दी को चमत्कारी औषधि का दर्जा दिया गया है। जिस बात को आयुर्वेद में हजारों साल पहले कह दिया था, उसकी सच्चाई और प्रामाणिकता पर आज विज्ञान जगत भी मुहर लगा रहा है। कैंसर की रोकथाम, दूषित खून की सफाई, डिमेंशिया से छुटकारा, गठिया, हानिकारक बेक्टीरिया और वायरस का सफाया, रोगों से लडऩे की क्षमता में इजाफा ....जैसे कई नायाब गुणों के साथ ही हल्दी में एक अन्य विशेष खूबी भी पाई जाती है। यदि कभी किसी को कोई चोट-मोच या जर्क लग जाए तथा दर्द, जकडऩ और सूजन की तकलीफ हो रही हो तो ऐसे में हल्दी का यह प्रयोग अवश्य करना चाहिये।

प्रयोग: चार चम्मच सरसों के तेल में 1चम्मच पिसी हल्दी लेकर धीमी आंच पर पका लें, इसमें 4-5 कलियां लहसुन की भी डाल दी जाएं तो लाभ और भी जल्दी होता है। थोड़ा ठंडा या गुनगना रहने पर किसी साफ  कॉटन के साथ इस तेल में पकी हुई हल्दी को चोट के स्थान पर लगाकर बांध लें। कुछ ही घंटों में चोट और सूजन में काफी लाभ होगा।

फिटकरी- घाव वाले स्थान पर फिटकरी को भूनकर लगाने से भी घाव तेजी से भरने लगता है।

दूध के साथ प्रयोग: दो-तीन दिन लगातार दूध मे 1-चम्मच हल्दी पाउडर डालकर पीने से भी चोट-मोच, दर्द और सूजन में तत्काल राहत मिलती है।

कालीमिर्च का फार्मूला: इससे डेंड्रफ साफ हो जाएगा

बालों में ड्रेंड्रफ एक आम समस्या है। रूसी के कारण अक्सर बाल रूखे और बेजान हो जाते हैं। डेंड्रफ को दूर करने के लिए वर्तमान में बाजार में कई तरह के एंटीडेंड्रफ शैंपू मौजूद हैं। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि ये एंटी डेंड्रफ शैंपू डेंड्रफ को पूरी तरह से नहीं मिटा पाते हैं। इसीलिए जिद्दी ड्रेंड्रफ को जड़ से साफ करने के लिए घरेलू नुस्खे आजमाना चाहिए। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ घरेलु नुस्खों के बारे में..... 

- पिसी हुई मेहंदी एक कप, थोड़ा सा कॉफी पाउडर, 1 चम्मचए दही, 1 चम्मचए नीबू का रस, 1 चम्मचए पिसा कत्था, 1 चम्मच आंवला चूर्ण, 1 चम्मच सूखे पुदीने का चूर्ण। फिर इन सभी को मिलाकर करीब दो घंटे रखें। बालों पर घंटा भर लगाकर धो लें। इसे बाल मुलायम व काले होंगे।

-  काली मिट्टी बालों के बहुत अच्छी मानी जाती है, काली मिट्टी को दो घंटे पहले भिगोकर इससे सिर धोएं, इससे बाल मुलायम होते हैं। 

-  नारियल के तेल में नीबू का रस मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से बालों का असमय पकना और झडऩा रुक जाता है।

- बालों में चमक प्रदान करने के लिए एक अंडे को खूब अच्छी तरह फेंट लें, इसमें एक चम्मच नारियल का तेल, एक चम्मच अरंडी का तेल, एक चम्मच ग्लिसरीन, एक चम्मच सिरका तथा थोड़ा सा शहद मिलाकर बालों को अच्छी तरह लगा लें, दो घंटे बाद कुनकुने पानी से धो लें। बाल इतने चमदार हो जाएंगे जितने किसी भी कंडीशनर से नहीं हो सकते।

- दही में बेसन घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद सिर धो लें। इससे बालों की चमक लौट आएगी और बालों की रूसी की समस्या से भी आपको निजात मिलेगी।

- रूसी की शिकायत वाले बालों के लिए दही में कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सिर धोए। यह हफ्ते में दो बार अवश्य करें। इससे जहाँ बालों की रूसी खत्म होगी, वहीं बाल मुलायम, काले, लंबे व घने होंगे जो आपकी सुंदरता में चार चाँद लगाएँगे।

प्रेगनेंसी में ऐसे रहें तो बच्चा होगा सर्वगुण सम्पन्न

आयुर्वेद में मुनियों ने गर्भधारण से सम्बंधित विषयों के संबंध में बहुत विस्तार से बताया है। इसमें बताए गए कुछ आयुर्वेदिक नियमों का पालन अगर कोई प्रेगनेंट लेडी करे तो मान्यता है कि पैदा होने वाली संतान सर्वगुणसम्पन्न होती है-:

- एक महीने तक ब्रह्मचर्य का पालन (अर्थात मन, वचन एवं कर्म से यौन विषयों से एक माह तक दूर रहना) करने वाले पुरुष को उड़द की दाल से बनाई गयी खिचड़ी के साथ दूध खाने का निर्देश है, साथ ही मासिक स्राव रुकने से अंतिम दिन (ऋतुकाल) के बाद जोड़े वाले दिनों में जैसे छठी, आठवीं एवं दसंवीं रात को यौन सम्बन्ध बनाने का निर्देश है, परन्तु ऐसा नहीं है कि अयुग्म दिनों में अर्थात पांचवीं, सातवीं एवं नौवीं रात्रि को यौन सम्बन्ध बनाने से संतान क़ी प्राप्ति नहीं होगी।

- ऋतुकाल के बाद की चौथी रात्रि की अपेक्षा,छठी रात्रि एवं छठी की अपेक्षा आठंवी रात्रि को यौन सम्बन्ध बनाना संतान प्राप्ति की दृष्टीकोण से अच्छा माना गया है।

- ऋतुकाल के सोलहवें से तीसवें दिन यौन सम्बन्ध बनाना संतान प्राप्ति क़ी दृष्टि से अच्छा नहीं माना गया है।

- आयुर्वेद मतानुसार ऋतुकाल के सामान्य चार दिनों में से पहले दिन स्त्री से यौन सम्बन्ध बनाना आयु को नष्ट करनेवाला बताया गया है तथा चौथे दिन के बाद यौन सम्बन्ध बनाना संतानोत्पत्ति क़ी दृष्टी से उत्तम माना गया है अर्थात मासिक स्राव के दिनों को छोड़कर ही यौन सम्बन्ध बनाने का निर्देश दिया गया है।

- उत्तम संतान के लिए लक्ष्मणा, वट के नए कोपल, सहदेवा एवं विश्वदेवा में से किसी एक को दूध के साथ पीस कर स्त्री के दाहिने एवं बाएं नासिका क्षिद्र में डालना चाहिए।

- मदिरा के सेवन से आपके होने वाले बच्चे के वज़न पर, सीखने समझने की काबलियत पर, आँखों पर, अंगों पर, स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है।कैफीन का सेवन गर्भवती महिला में गर्भपात और बच्चे के असामयिक जन्म का खतरा बढ़ा सकता है। गर्भावस्था के दौरान पारा युक्त मछली के सेवन से बचना चाहिए।

- बैंगन, मिर्ची, प्याज, लहसुन, हिंग, बाजरा, गुड़ का सेवन कम से कम मात्रा में करना चाहिए, खासकर के उनको जिनका किसी न किसी कारण से पहले गर्भपात हो चुका है। मसालेदार मांस का सेवन करने से भी बचना चाहिए, क्योंकि उसमे हानिकारक जीवाणुओं का समावेश हो सकता है।

- इस प्रकार गर्भधारण संस्कार में बताये गए नियमों से उत्पन्न संतान बलवान, ओजस्वी, आरोग्ययुक्त एवं दीर्घायु होना उल्लेखित है

लहसुन की अनोखी क्रीम: ऐसे बनाकर लगाएं तो मुंहासे साफ हो जाएंगें

लहसुन का उपयोग यूं तो भोजन का स्वाद बढ़ाने में किया जाता है, लेकिन यह औषधि के रूप में भी उतना ही फायदेमंद है। लहसुन कुदरती खूबियों से भरपूर है। लेकिन इसे उचित मात्रा में ही लेना चाहिए। लहसुन की तासीर काफी गर्म और खुश्क होती है। लेकिन इसके सही तरीके से सेवन से कई तरह की बीमारियां दूर होती है। 

लहसुन का उपयोग सिर्फ खाकर ही नहीं बल्कि इसे लगाकर भी रोगों को दूर किया जा सकता है। मुंहासे भी एक ऐसी समस्या है जो अधिकतर युवाओं को परेशान करता है। हम आपको बताने जा रहे हैं लहसुन का अनोखा प्रयोग इसे अपनाएं तो मुहांसे साफ हो जाएंगे।

- मुंहासे के लिए लहसुन की दो कलियों  को  और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे मुहांसों पर और चेहरे पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।

- दो कलियां लहसुन की पीसकर एक गिलास दूध में उबाल ले व ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पिए हृदय के रोगों में आराम मिलता है।- लहसुन के नियमित सेवन पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना को कम कर देताहै।

- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित होता है। एसिडिटी और गैस्टिक ट्रबल में इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।

गर्भ नहीं ठहरता हो तो सौंफ को खाएं इस तरह

गर्भधारण करने के बाद महिला को सौंफ और गुलकन्द मिलाकर पानी के साथ पीसकर हर रोज नियमित रूप से पिलाने से गर्भपात की आशंका समाप्त हो जाती ह...