Thursday 20 September 2018

गर्भ नहीं ठहरता हो तो सौंफ को खाएं इस तरह



गर्भधारण करने के बाद महिला को सौंफ और गुलकन्द मिलाकर पानी के साथ पीसकर हर रोज नियमित रूप से पिलाने से गर्भपात की आशंका समाप्त हो जाती है। गर्भधारण करने के बाद से ही बच्चे के जन्म तक सौंफ को नियमित पीने से भी गर्भ सुरक्षित हो जाता है.

सौंफ़ एक सुगन्धित और स्वादिष्ट जड़ी-बूटी है जिसमें कई औषधीय गुण मौजूद हैं। अगर यह अभी आपके रसोई घर में नहीं है, तो इस लेख को पड़ने के बाद आप तुरंत इसे बाजार से खरीदना चाहेंगे। सौंफ की तासीर ठंडी होती है इसलिए गर्मी में इसका इस्तेमाल बढ़ जाता है. सौंफ में कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी होते हैं. सौंफ का इस्तेमाल सिर्फ खाना बनाने में ही नहीं बल्कि खाने के बाद यूहीं खाने में भी किया जाता है. ज्यादातर लोग खाने के बाद सौंफ खाना पसंद करते हैं. इसके सेवन से कई तरह की परेशानियां दूर होती हैं.

हींग: यदि स्त्री का अंग कांपे तो गर्भाशय में वायुदोष समझना चाहिए। इसके लिए हींग को पीसकर तिल के तेल में मिलाकर रूई में लगाकर गर्भाशय के मुंह पर 3 दिनों तक लगातार रखना चाहिए। इससे गर्भ अवश्य ही स्थापित हो जाता है।

सेवती: यदि स्त्री का पूरा शरीर दुखे तो समझना चाहिए कि गर्भाशय में गर्मी अधिक है। जिसके कारण गर्भधारण नहीं होता है। इसके लिए सेवती के फूलों के रस में तिलों का तेल मिलाकर रूई में लगाकर गर्भाशय के मुंह पर तीन दिन तक लगातार रखना चाहिए।

राई: यदि स्त्री की पिण्डली दुखती हो तो समझना चाहिए कि गर्भाशय में अधिक ठंडक है। इसके लिए राई, कायफल, हरड़, बहेड़ा 5-5 ग्राम की मात्रा में कूट-छानकर रख लें, फिर एक ग्राम दवा साबुन के पानी में मिलाकर रूई में लगाकर गर्भाशय के मुंह पर रखना चाहिए। इसके प्रयोग से स्त्रियां गर्भधारण करने के योग्य बन जाती हैं।

काला जीरा: यदि स्त्री का पेट दुखे तो समझना चाहिए कि गर्भाशय में जाला है। इसके लिए काला जीरा, सुहागा भुना हुआ, बच, कूट 5-5 ग्राम कूट छान लें, फिर एक ग्राम दवा पानी में पीसकर रूई में लगाकर गर्भाशय के मुंह पर तीन दिन तक रखना चाहिए।

सौंफ: बन्ध्या औरत यदि 6 ग्राम सौंफ का चूर्ण घी के साथ तीन महीने तक सेवन करें तो निश्चित रूप से वह गर्भधारण करने योग्य हो जाती है। यह कल्प मोटी औरतों के लिए खासकर लाभदायक है। यदि औरत दुबली-पतली हो तो उसमें शतावरी चूर्ण मिलाकर देना चाहिए। 6 ग्राम शतावरी मूल का चूर्ण 12 ग्राम घी और दूध के साथ सेवन करने से गर्भाशय की सभी बीमारियां दूर होती हैं और गर्भ की स्थापना होती है। यह पोस्ट जेके हेल्थ वर्ल्ड से ली गई है. हो सकता है आपको यह उपाय लाभ दे जाए.

ब्लीडिंग अधिक होती है तो धनिया और मेथी के यह उपाय देगे लाभ



अगर देरी से पीरियड्स हो रहे है या फिर ब्लीडिंग अधिक होती है तो ये किसी बीमारी की वजह से भी हो सकता है। पर अक्सर पीरियड्स जल्दी आना, देरी से आना, पीरियड्स में ज्यादा दर्द होना और ज्यादा ब्लड आना जैसे समस्या होती रहती है जिसका इलाज घरेलू नुस्खे से आसानी से कर सकते हैं.

अक्सर फाइब्रायड, रसौली, ट्यूमर जैसी बीमारियों के कारण भी माहवारी में अधिक रक्‍तस्राव होता है। लड़कियों में भारी माहवारी का कारण कुछ समय के लिए हार्मोन में होने वाला बदलाव होता है। लोध्र: 10 ग्राम पिसी हुई लौध्र में खांड 10 ग्राम की मात्रा में मिलाकर रख लें। इसे 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी से सेवन करने से माहवारी के अधिक आने की समस्या समाप्त हो जाती है।

धाय: धाय के बीज 20 ग्राम को पीसकर रख लें, फिर इसे 5-6 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से माहवारी का अधिक आना बंद हो जाता है।

धनिया: सूखा धनिया 10 ग्राम को लगभग 200 मिलीलीटर पानी में उबालते हैं। जब यह एक चौथाई की मात्रा में रह जाए तो उसे छानकर खांड (चीनी) मिलाकर हल्के गर्म पानी के साथ सुबह के समय 3-4 बार पिलाने से माहवारी में आराम मिलता है।

मेथी: 1 चम्मच दाना मेथी को एक गिलास दूध में डालकर इसे उबाल आने तक उबालें, फिर दूध ठंडा करके छान लें। मेथी खायें और दूध में स्वादानुसार पिसी मिश्री मिलाकर रोजाना 2 बार पीने से मासिक-धर्म में अधिक खून का आना और शरीर के किसी भी अंग से खून का बहना बंद हो जाता है।

ग्वारपाठा (घृतकुमारी): 10 ग्राम घृतकुमारी के गूदे पर आधा ग्राम पलाश का क्षार छिड़ककर दिन में 2 बार सेवन करने से मासिक-धर्म सही होने लगता है।

सुगन्धबाला: सुगन्धबाला का 1 से 3 ग्राम चूर्ण या 50 से 100 मिलीलीटर काढ़े को मासिक-धर्म के रोग में नियमित रूप से सेवन करें। यह निद्राकारक है तथा पुराने प्रमेह में भी लाभकारी होता है।

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