Wednesday, 20 April 2011

मठा- एक शीतल पेय

‘ताहि अहीर की छोकरिया, छछिया अरि छाछ पे नाच नचावे।’ की याद ताजा हो जाती है जब छाछ (मठा) की बात उठती है। श्रीकृष्ण भगवान दही-बेचने के लिये जा रही गोपिकाओं से छाछ मांगते हैं। गोपिकाएं कहती हैं, ‘पहले अपना नाच दिखाओ, फिर छाछ मिलेगा।’ बुरे फंसे श्रीकृष्ण पर वे करें क्या…? दही न सही मठा ही सही, कुछ तो मिले। नंद-नंदन राजपुत्र हैं और इन गोपिकाओं से दही मांग रहे हैं। कैसी विडम्बना है…।
दही की बात तो कहीं और है। यहां तो छाछ भर के लिये इन्हें नाचना पड़ता है। आइए देखें, इस छाछ में आखिर क्या विशेषताएं हैं…?
गर्मी के आते ही क्या गांव, क्या शहर हर जगह शीतल पेयों की बाढ़ सी आ जाती है। लिम्का, माजा, पैप्सी कोला, कोका कोला और प्रूटी आदि अमीरों के पेट को ठंडा करते हैं, वहीं सौंफ का शीतल पेय, शर्बत, नींबू का ठंडा रस और मठा (छाछ) गरीबों के लिये प्रयुक्त होते हैं। इन शीतल पेयों में मठा का महत्वपूर्ण स्थान है।
* दही में बिना पानी डाले मथें। ऐसा मलाई सहित करें। जो मठा तैयार होता है इसमें गुड़ या चीनी डालकर सेवन करने से पके आम सदृश गुणकारी होता है।
* ऊपर की मलाई हटा लीजिए। अब दही मथकर मठा तैयार कीजिए। इस मठे का प्रयोग वात, कफ और पित्त के रोगों में लाभप्रद होता है।
* दही की मात्रा का चौथाई भाग जल डालकर मथने से जो मठा बनता है वह उष्णवीर्य, पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला, वात के रोगों में लाभदायक तथा गृहिणी को स्वास्थ्यप्रद बनाता है।
* दही में आधा पानी डालकर मथने से तैयार छाछ कफवृध्दि तो करता है, मगर आंव पड़ने (पेचिश) में आराम पहुंचाता है।
* मक्खन निकाल कर दही की मात्रा से अधिक पानी डाल कर मथने से जो छाछ (मठा) तैयार होता है वह प्यास को हरने वाला, वात नाशक तथा कफप्रद होता है। थोड़ा नमक डाल पीने से अत्यन्त पाचक होता है।
* मठे में पिसी सोंठ और सेंधा नमक मिलाकर पीने से वात के रोगों में आराम होता है।
* मठे में शक्कर मिलाकर पीने से पित्त के रोग ठीक होते हैं।
* सोंठ, पीतल और काली मिर्च पीसकर मठे में मिलाकर पीने से वात, बवासीर, अतिसार तथा वस्तिक्षेत्र के रोगों में आराम होता है।
* मठे में गुड़ डालकर पीने से पेशाब संबंधी रोगों में आराम पहुंचाता है।
* पिसा जीरा व नमक के साथ मठे का सेवन करने से शरीर को आराम होता है। गर्मी में यह पेय सेवन करने से शरीर… शीतल और प्रसन्नचित्त बना रहता है।
* मठे का उपयोग खाने में भी किया जा सकता है। चपाती या भात से मठा खाते हमने अक्सर लोगों को देखा है। गरीब ही क्या, अमीर भी दाल या सब्जी के स्थान पर मठा (छाछ) का उपयोग शौक से करते देखे जाते हैं। मठा से आज कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। जहां यह एक शालीन और स्वास्थ्यप्रद पेय है, वही इसे सर्वप्रिय खाद्य भी माना जा सकता है।

No comments:

Post a Comment

गर्भ नहीं ठहरता हो तो सौंफ को खाएं इस तरह

गर्भधारण करने के बाद महिला को सौंफ और गुलकन्द मिलाकर पानी के साथ पीसकर हर रोज नियमित रूप से पिलाने से गर्भपात की आशंका समाप्त हो जाती ह...