Wednesday, 24 August 2011

अचूक उपाय: जिनसे दिमाग कम्प्युटर से भी तेज चलने लगेगा

आयुर्वेद के गूढ़ रहस्यों के लिए आज पूरी दुनिया में जाना जा रहा है। लोग इसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति के विकल्प के तौर पर अपना रहे हैं। लेकिन इसके साथ- साथ चुनौतियों के रूप में नए-नए रोग भी सामने आ रहे हैं। कभी एच .आई.वी ,तो कभी स्वाईन फ्लू , जिसके बारे में आयुर्वेद के मनीषियों ने हजारों वर्ष पूर्व ही कहा था बीमारियों के नाम पर मत जाओ ,हर युग में उसका नाम अलग होगा आज ऐसी कई बीमारियां हैं, जो मानव के जीवन को बोझिल बना रही हैं,जिनमे शरीर प्राणयुक्त तो रहता है, पर जीवन जीना कठिन हो जाता है। बचपन से ही होनेवाली प्रोजेरिया से लेकर अल्जाइमर जैसी बुढापे क़ी भूलने क़ी बीमारी आमतौर पर आज देखने में आ रही हैं।

इसी प्रकार कैंसर जैसा रोग रोगी को तिल -तिल मारने पर मजबूर कर रहा है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अपनी सीमाओं में बंधकर ही इन रोगों का उपचार कर रहा है ,हो भी क्यों न, सम्पूर्णता किसी भी एक तकनीक,पद्धति या विधि से प्राप्त नहीं हो सकती है। आवश्यकता है, हर पद्धति से कुछ अच्छी चीजों को निकालकर अपनाने की और इसी सन्दर्भ में आयुर्वेद के महान यायावर ऋषि चरक ने चार मेध्य रसायनों का वर्णन चरक संहिता नामक ग्रन्थ में किया, कहा तो यह भी जाता है, कि इन रसायनों का प्रयोग मेधा यानी बौद्धिक क्षमता  को बढ़ानेवाला है। ऐसी ही कुछ आयुर्वेदिक औषधीयों के प्रयोग इस प्रकार हैं।

-मंडूकपर्णी का स्वरस  5-10 मिली की मात्रा में पीना मस्तिष्क दौर्बल्य के लिए लाभकारी मेध्य रसायन है।

-मुलेठी का चूर्ण 5-10 ग्राम की मात्रा में दूध से लेना रोगों को नष्ट करने वाला मेध्य रसायन है।

-शंखपुष्पी को फल एवं मूल के साथ टुकड़ों में काटकर,साफकर  कल्क बनाकर लेना विशेष रूप से मेधा (इन्टेलेक्ट) को बढ़ानेवाला रसायन है।

-पिप्पली को अपने सामथ्र्य के अनुसार (5,7,8,10 की संख्यामें ) चूर्ण बनाकर कपडे से छानकर  मधु और घी के साथ एक वर्ष तक सेवन करना अनेक रोगों से मुक्त करनेवाला रसायन है।

-तीन -तीन पिप्पली को प्रात: काल,भोजन के पूर्व एवं भोजन के बाद लेना भी रसायन गुणों को देनेवाला है।

-पिप्पली  को पलाश के क्षार के जल में भावना देकर गाय के घी के साथ भूनकर,चूर्ण को मधु या घी के साथ मात्रा से सेवन  करना भी रोगों से मुक्ति दिलानेवाला रसायन है ।

-भोजन करने के बाद एक हरड का चूर्ण ,भोजन लेने से पहले दो बहेड़े का चूर्ण एवं भोजन करने के बाद चार आंवले का चूर्ण मधु और घी के साथ सेवन करना सदैव युवा रखनेवाला रसायन है।

-मुलेठी ,वंशलोचन,पिप्पली को सममात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाकर मधु ,घृत एवं मिश्री के साथ  उम्र  के अनुसार  निर्धारित मात्र में 1 वर्ष तक लेना रसायन  औषधि का प्रभाव उत्पन्न करता है।

ये तो चंद नुस्खे हैं, ऐसे ही कई गुणकारी,अचूक एवं प्रभावी नुस्खों से आयुर्वेद भरा पडा है ,बस आवश्यकता है चिकित्सकीय निर्देशन में प्रयोग की ढ्ढ नए- नए नाम से आनेवाली बीमारियों की चिकित्सा हेतु युगों -युगों तक ये नुस्खे उतने ही प्रभावी हैं जितने आचार्य चरक या सुश्रुत के जमाने में रहे होंगे।

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