Wednesday, 24 August 2011

भूख व नींद को जबरन रोका तो गले पड़ेंगी ऐसी मुसीबतें!

वेदों को दुनिया की सबसे प्राचीन व महान किताबों के रूप में विश्वभर में मान्यता प्राप्त है। वेदों की परंपरा में ही आगे चलकर आयुर्वेद की रचना हुई। चारों वेदों के समान ही महान और प्रामाणिक होने के कारण ही आयुर्वेद को चिकित्सा शास्त्र से बढ़कर एक धार्मिक ग्रंथ के रूप में भी गरिमा प्राप्त है।



क्योंकि इसमें आयु यानी उम्र का पूरा का पूरा विज्ञान समाया हुआ है, इसीलिये इसका नाम सारे संसार में आयुर्वेद के रूप में विख्यात हुआ।





आयुर्वेद में इंसानी जिंदगी से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात को बड़ी गहराई और वैज्ञानिकता के साथ प्रस्तुत किया गया है। हमारे आहार-विहार से जुड़ी हर वो बात जो जिंदगी को प्रभावित करती है, उसे आयुर्वेद में बड़े ही स्पष्ट और वैज्ञानिक आधारों पर समझाया गया है।

खान-पान और जागने-सोने की क्रियाएं हमारे जीवन से गहरे से जुड़ी होती हैं।



आयुर्वेद में भूख और नींद के विषय में की जाने वाली लापरवाही को बहुत ही गंभीर माना जाता है। आयुर्वेद के  प्रामाणिक ग्रंथों में स्पष्ट कहा गया है कि इंसान को कभी भी अपनी स्वाभाविक भूख और नींद को जबरन रोकना नहीं चाहिये।





आयुर्वेद के अनुसार जो व्यक्ति भूख और नींद की स्वाभाविक क्रियाओं को रोकता है, उसे इन समस्याओं या बीमारियों का सामना करना पड़ता है...



भूख दबाने के दुष्परिणाम:


- शरीर का कमजोर होना या टूटना।



- भोजन में अरुचि हो जाना।



- शरीर में ग्लानि उत्पन्न होती है।



- पेट या आंतों में दर्द होना।



नींद को रोकने की हानियां:


- याद्दाश्त का कमजोर होना।



- मतिभ्रम पैदा होना।



- बुद्धि का भ्रमित होना।



- शरीर में आलस्य बढऩा और काम करने में अरुचि पैदा होना।



- बार-बार जम्हाई आना।



- लगातार नींद टालने पर अनिद्रा की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है।



इसीलिये जिन्हें अपनी सेहत और जिंदगी की परवाह है, उन्हें कभी भी शरीर की स्वाभाविक जरूरतों को रोकना नहीं चाहिये।

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