Thursday, 2 April 2015

प्रीमैच्योर बेबीज को होती हैं कई परेशानियां(Baby)



गर्भावस्था का पूर्ण समय 37 हफ्तों का होता है और यदि इससे पहले बच्चे का जन्म हो रहा है तो वो प्रीमैच्योर कहलाते हैं। समय से पूर्व पैदा होने वाले बच्चों में सिर्फ समय का अंतर नहीं होता बल्कि उन्हें सेहत से जुड़ी कई सारी परेशानियां भी होती हैं। कई बार इस प्रकार पैदा हुए बच्चों को अधिक दिनों तक अस्पताल में रखने की जरूरत भी पड़ जाती है और इन्हें जीवनपर्यंत सेहत से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

बच्चों के मस्तिष्क पर प्रभाव

प्रीमैच्योर बच्चे को लंबे समय तक शारीरिक और मानसिक विकास में परेशानी का सामना करना पड़ता है। मस्तिष्क से जुड़ी कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे,

    शारीरिक विकास, सीखने की क्षमता

    दूसरों के साथ संवाद करने की कला

    खुद का ध्यान रखना

लंबे समय में होने वाली परेशानी ये हो सकती है

    व्यवहार से जुड़ी परेशानी, इसमें एडीएचडी या अटेंशन हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर जैसी परेशानी शामिल है और एंग्जाइटी।

    न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे सेरेब्रल पाल्सी, जो मस्तिष्क को प्रभावित करते हंै, स्पाइनल कॉर्ड और पूरे शरीर में नर्व्स से जुड़ी समस्या।

    ऑटिज्म, जो कई डिसऑर्डर का ग्रुप होता है, जिसका प्रभाव बच्चे के बोलने, सामाजिक क्षमताओं और व्यवहार पर पड़ता है।

फेफड़ों पर पड़ता है असर

समय से पूर्व पैदा हुए बच्चों को फेफड़ों और सांस से जुड़ी परेशानी होती है, जिसमें शामिल है :

    अस्थमा, सेहत से जुड़ी परेशानी जो सांस नली को प्रभावित करते हैं और सांस लेने में परेशानी होती है।

    ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेजिया नामक समस्या हो जाती है जो फेफड़ों से जुड़ी क्रॉनिक डिसीज है। इसकी वजह से फेफड़ों का आकार या तो असामान्य होता है या फिर उनमें सूजन होती है। समय के साथ फेफड़े ठीक हो जाते हैं लेकिन अस्थमा जैसे लक्षण जीवनभर नजर आते हैं।

ये परेशानियां हो सकती हैं

आंतों से जुड़ी परेशानी

आंत भोजन पचाने में आपकी मदद करते हैं। प्रीमैच्योर पैदा होने वाले बच्चों में कई बार आंतों से जुड़ी परेशानी होती है, कई बार आंत ब्लॉक होने तक की नौबत आ जाती है। यदि सर्जरी द्वारा आंतों के कुछ हिस्से निकाल दिए जाएं तो इससे भविष्य में भोजन से पोषक तत्व प्राप्त करने में परेशानी हो सकती है।

आंखों में परेशानी

रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी के कारण बच्चों को देखने में परेशानी महसूस होती है। प्रीमैच्योर बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में आंखों से

जुड़ी परेशानी अधिक होती है।

इन्फेक्शन का खतरा

प्रीमैच्योर बच्चों में इन्फेक्श्न का खतरा अधिक रहता है। इसमें निमोनिया, मेनिनजाइटिस जैसे इन्फेक्शन शामिल हैं।

सुनने में होती है समस्या

जो बच्चे समय से पूर्व पैदा होते हैं उनमें सुनने की क्षमता आम बच्चों की तुलना में अधिक प्रभावित होती है।

दांतों की समस्या

दांतों का अधिक उम्र में निकलना, दांतों के रंग में बदलाव या विकसित होने वाले दांत टूटे हुए या अपनी जगह से हटे हुए निकलते हैं।
- See more at: http://naidunia.jagran.com/magazine/sehat-premature-babies-have-many-problems-328926#sthash.tyqB2nq5.dpuf

No comments:

Post a Comment

गर्भ नहीं ठहरता हो तो सौंफ को खाएं इस तरह

गर्भधारण करने के बाद महिला को सौंफ और गुलकन्द मिलाकर पानी के साथ पीसकर हर रोज नियमित रूप से पिलाने से गर्भपात की आशंका समाप्त हो जाती ह...