: कुंदरू की जड़ों, तनों और पत्तियों में कई गुण हैं। ये चर्म रोगों, जुकाम, फेफड़ों के शोथ तथा डायबिटीज़ में लाभदायक बताया गया है। इसके अलावा अगर आप अपने खान-पान में सुधार करके आंखों से चश्मा हटाना चाहते हैं, तो भी कुंदरू का सेवन लाभ पहुंचाता है। कुंदरू के अलावा ऐसे कई आहार हैं, जिनके नियमित सेवन से हम स्वस्थ ज़िंदगी जी सकते हैं। इन आहारों को आदिवासी अपने भोजन में ज़रूर शामिल करते हैं।
आदिवासी भोजन और उसके गुण:
आदिकाल से ही वनस्पतियां मनुष्यों और जंतुओं के आहार का मुख्य स्त्रोत रही हैं। ग्रामीण, आदिवासी और वनांचलों के नजदीक रहने वाले लोग हमेशा से विभिन्न प्रकार की वन संपदाओं को ही अपना आहार अंग बनाए हुए हैं। एक तरफ हमारे गांव और जंगल हैं, वहीं दूसरी तरफ तथाकथित विकसित समाज है जिसने ज्यादा विकसित होने की दौड़ में अपने लालन-पालन में पोषक तत्वों को कहीं खो दिया है। पिछले दो दशकों में विश्व के तमाम बड़े वैज्ञानिकों ने अपनी शोध से ये साबित भी किया है कि आदिवासियों के प्राकृतिक आहार को अगर आज की दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपना लें, तो सूक्ष्म तत्वों की कमी से होने वाले अनेक रोगों की छुट्टी हो सकती है। आइए हम भी जानते हैं कुछ ऐसे ही आहार के बारे में जो हम सभी की बेहतर सेहत के लिए रामबाण साबित हो सकते हैं।
चश्मा हटाए कुंदरू का सेवन
आदिवासियों के अनुसार कुंदरू के फल की अधकच्ची सब्जी लगातार कुछ दिनों तक खाने से आखों से चश्मा तक उतर जाता है। साथ ही माना जाता है कि इसकी सब्जी के निरंतर उपभोग से बाल झड़ने का क्रम बंद हो जाता है। यह गंजेपन से भी बचा जा सकता है।
ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ाता है हरा और लाल साग
आदिवासियों के भोजन में हरी पत्तियों वाली साग-भाजियों की भरमार होती है। आदिवासियों के अनुसार शरीर में ताकत और चपलता बढ़ाने के लिए लाल भाजी बड़ी ही महत्वपूर्ण है, जबकि कुल्थी, डोमा और चौलाई जैसी भाजियां रक्त के लाल कणों (RBC) की संख्या बढ़ाने के साथ ब्लड प्लेटलेट्स को भी बढ़ाते हैं। यानी आपकी ताकत बढ़ाने और आपको स्वस्थ रखने की ताकत इन भाजियों में समाहित है।
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