डॉ दीपक आचार्य
सिर्फ घास नहीं औषधि भी है दूब
हिन्दू धर्म शास्त्रों में दूब घास को बेहद पवित्र माना गया है। हर शुभ काम में इसका इस्तेमाल होता है। दूब घास खेल के मैदान, मंदिर परिसर, बाग-बागीचों और खेत खलिहानों में पाई जाती है। आदिवासियों के अनुसार इसका प्रतिदिन सेवन शारीरिक स्फूर्ति प्रदान करता है और शरीर को थकान महसूस नहीं होती है।
वैसे आधुनिक विज्ञान के अनुसार भी दूब घास एक शक्तिवर्द्धक औषधि है क्योंकि इसमें ग्लाइकोसाइड, अल्केलाइड, विटामिन-ए विटामिन-सी की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। इसका लेप मस्तक पर लगाने से नकसीर ठीक होती है। पातालकोट में आदिवासी नाक से खून निकलने पर ताजी और हरी दूब का रस 2-2 बूंद नाक में डालते हैं जिससे नाक से खून आना बंद हो जाता है।
लू से बचना है तो शहतूत खाइये
इन दिनों शहतूत के फल खूब देखे जा रहे हैं। पातालकोट ही नहीं, बल्कि पूरे देश में इसके फलने का मौसम जारी है। इसके खास औषधीय गुण हैं और खासतौर से गर्मियों में लू से निपटने के लिए इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है।
पातालकोट के आदिवासी गर्मी के दिनों में शहतूत के फलों के रस में चीनी मिलाकर पीने की सलाह देते हैं। उनके अनुसार शहतूत की तासीर ठंडी होती है जिसके कारण गर्मी में होने वाले सन स्ट्रोक से बचाव होता है। शहतूत का रस हृदय रोगियों के लिए भी लाभदायक है। गर्मियों में बार-बार प्यास लगने की शिकायत होने पर इसके फलों को खाने से प्यास शांत हो जाती है।
मसूड़ों से खून आए तो आजमाएं ये नुस्खा
मसूडों से खून आ रहा? इसे रोकने के नुस्खे के बारे में बता रहे हैं हमारे हर्बल आचार्य डॉ. दीपक आचार्य। अनार छीलने के बाद छिलकों को फेंके नहीं, इन्हें बारीक काटकर मिक्सर में थोड़े पानी के साथ डालकर पीस लें। बाद में इसे मुंह में डालकर कुछ देर कुल्ला करें और थूक दें, दिन में दो तीन बार ऐसा करने से मसूड़ों और दांतों पर किसी तरह के सूक्ष्मजीवी संक्रमण हो तो, काफी हद तक आराम मिल जाता है।
जिन्हें मसूड़ों से खून निकलने की शिकायत हो उन्हें यह फार्मुला बेहद फायदा करेगा। सैकड़ों साल से आजमाए जाने वाले इस आदिवासी फार्मुलों के असर को वैज्ञानिक परिक्षण के तौर पर सिद्ध किया जा चुका है। स्ट्रेप्टोकोकस मिटिस और स्ट्रेप्टोकोकस संगस नामक बैक्टिरिया की वजह से ही जिंजिवायटिस और कई अन्य मुख रोग होते हैं और इनकी वृद्धि को रोकने के लिए अनार के छिलके बेहद असरकारक होते हैं। आजमाएं जरूर इस नुस्खे को, असर दिखकर रहेगा, दावा है मेरा।
अर्टिकेरिया में कारगर अदरक
आदिवासी अंचलों में अर्टिकेरिया नामक एलर्जी (शरीर पर लाल चकत्तों का बनना) जो कि एक इंफ्लेमेशन है, से निपटने के लिए ताज़े अदरक को कुचलकर रस तैयार किया जाता है और इसका लेप सारे शरीर पर दिन में कम से कम 4 बार किया जाता है।
जानकारों का मानना है कि ऐसा लगातार करने से आर्टिकेरिया की परेशानी से आराम मिल जाता है। कुछ इलाकों में आदिवासी महुए की फलियों से निकाले गए तेल को शरीर पर लगाते हैं। इनका मानना है कि ये तेल शरीर के बाहरी हिस्सों पर हुयी किसी भी तरह की एलर्जी को दूर करने में बेहद कारगर साबित होता है।
चेहरे से दाग मिटाये पान
पान के एक पत्ते को कुचल लिया जाए और इसमें एक चम्मच नारियल का तेल मिला लिया जाए। इसे चेहरे या शरीर के किसी भी हिस्से पर बने दाग, काले निशान या धब्बों पर लगाकर कुछ देर रखा जाए और फिर धो लिया जाए। ऐसा सप्ताह में कम से कम 2 से 3 बार किया जाए तो 3 महीने के भीतर निशान मिट सकते हैं।
मासिक धर्म की समस्याओं के लिए ज्वार
मासिक धर्म से जुड़े विकारों के समाधान के लिए आदिवासी ज्वार के भुट्टे को जलाकर छानते हैं और राख संग्रहित कर लेते हैं। इस राख की ३ ग्राम मात्रा लेकर सुबह खाली पेट मासिक-धर्म चालू होने से लगभग एक सप्ताह पहले देना शुरु करते है। जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका सेवन बंद करवा दिया जाता है, इनके अनुसार इससे मासिक-धर्म के सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।
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