Saturday, 29 January 2011

बुद्धि बढ़ाने कि कुछ आयुर्वेदिक औषधियाँ

1) जड़-पत्तों सहित ब्राह्मी को उखाडकर एवं जल से धोकर ओखली में कुटे और कपडे में छाल ले. तत्पश्चात उसके एक तोले रस में छह माशे गौ घृत डालकर पकावे और हल्दी, आँवला, कूट, निसोत, हरड, चार-चार तोले, पीपल, वायविडंग, सेंधा नमक, मिश्री और बच एक-एक तोले इन सबकी चटनी उसमे डालकर मंद आग पर पकावे. जब पानी सुख जाए और घृत शेष रहे, तो उसे छानकर, लेवे और प्रतिदिन प्रातः काल एक तोला घृत चाटे. इसके सेवन से वाणी शुद्ध होती है. सात दिन तक सेवन करने से अनेक शास्त्रों को धारण कराता है. १८ प्रकार के कोढ़, ६ प्रकार के बवासीर, २ प्रकार के गुल्मी, २० प्रकार के प्रमेह और खाँसी दूर होती है. बंध्या स्त्री और अल्प वीर्य वाले मनुष्टों के लिए यह सारस्वत घृत वर्ण, वायु और बल को बढाता है. –चक्रदत्त.

२) बच का एक माशा चूर्ण जल, दूध या घृत के साथ एक मास सेवन करने से मनुष्य पंडित और बुद्धिमान बन जाता है. –वृहन्नीघण्टु

३) बेल कि जड़ का छाल और शतावरी का क्वाथ प्रतिदिन दूध के साथ स्नान और हवन के पश्चात पीजिए. इससे आयु और बुद्धि कि वृद्धि होती है. –सुश्रुत

४) गिलोय, ओंगा, वायविडंग, शंखपुष्पी, ब्राह्मी, बच, सोंठ और शतावर इन सबको बराबर लेकर कूट-छानकर चूर्ण बनावे और प्रातःकाल चार माशे मिश्री के साथ चाटे, तो तीन हजार श्लोक कंठस्थ करने कि शक्ति हो जाती है.

2 comments:

  1. महॊदय,
    आपनॆ यह अमूल्य जानकारी जॊ इस ब्लाग पर लिखी है अत्यंत उपयॊगी है ! मैं इसका अपनॆ जीवन मॆं अवश्य लाभ लूंगा ! बहुत बहुत धन्यवाद ! हम भी पर्यावरण सॆ जुडॆ है और पिछलॆ कई वर्षॊं सॆ पर्यावरण प्रदूषण सॆ लडनॆ का उपाय जन जन तक पहुंचानॆ मॆं लगॆं है ! विस्तृत जानकारी यहां दॆना संभव नही हैं आप यदि समय निकालॆ और मॆरी साईट पर अवश्य पधारॆं तॊ बडी कृपा हॊगी !

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  2. क्या इस घृत को किसी ने स्वयं बनाया है ? छह मासे गौ घृत में एक तोले ब्रांहमी रस व चार चार तोले अन्य घटकों के साथ कैसे पकाया जा सकता है एवं सात दिनों तक प्रयोग में लिया जा सकता है ।

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