पेट की मरोड़, सूजन, सांस और नाक की बदबू की समस्या हो या चर्म और गठिया जैसे रोग, सभी प्रकार की समस्याओं का अचूक इलाज है जोंकमारी (एक प्रकार का पौधा) में। इसकी पत्तियों में छिपे हैं कई प्रकार के औषधीय तत्व, जो ना सिर्फ बीमारियों से लड़ते हैं, बल्कि सांप और कुत्ते के काटने पर ज़हर का असर मिटा देते हैं।
जोंकमारी के बारे में
अक्सर पैरों से कुचला जाने वाला जोंकमारी छोटा-सा मैदानी पौधा खूब औषधीय महत्व वाला है। कई आदिवासी अंचलों में इसे जिंगनी और धब्बर भी कहा जाता है। भारत वर्ष के अनेक इलाकों में इसे कृष्ण नील भी कहा जाता है। आदिवासियों के अनुसार, यह पौधा तीखा और कड़वा होता है। इसका वानस्पतिक नाम एनागेलिस आरवेंसिस है। चलिए आज जानते है जोंकमारी से जुड़े देसी हर्बल नुस्खों के बारे में..
दूर करे सांसों की बदबू
किसी की नाक और मुंह से ज्यादा बदबू आती हो, तो इस पौधे की कुछ पत्तियों का सेवन करने से और पत्तियों को सूंघने से बदबू आना बंद हो जाती है।
सूजन, मरोड़ मिटाने में कारगर
गैस या अन्य किसी वजह से पेट में सूजन हो या मरोड़ चल रही हो, तो इस पौधे का लेप पेट के ऊपर लगाने से राहत मिलती है।
बुखार में आराम, गठिया रोग से निजात, चर्म रोगों से छुटाकारा, जहर काटने में सक्षम, संक्रमण से बचाव।
ठीक करे बुखार
अचानक चक्कर खाकर कोई गिर पड़े और दांतो को कस बैठे, तो जोंकमारी की पत्तियों को हथेली में कुचलकर रोगी के नाक पास ले जाएं। अगर यह उसे सुंघाया जाए, तो तबीयत जल्द ही ठीक हो जाती है।
गठिया रोग में फायदेमंद
गठिया रोग में इस पूरे पौधे को कुचलकर दर्द वाले भाग पर लगाया जाए, तो आराम मिलता है। तिल के तेल में इसकी पत्तियों के रस को मिलाकर दर्द वाले हिस्सों पर लगाया जाए तो बहुत जल्दी आराम मिलता है।
मिट्टी के तेल में मिलाने से भी गठिया रोग में फायदा
राजस्थान में ग्रामीण अंचलों मे लोग जोंकमारी के साथ मिट्टी के तेल और कपूर को मिलाकर लगाते हैं। इससे गठिया रोग में काफी फायदा होता है।
चर्म रोग दूर करे
आदिवासी इसकी पत्तियों को कुचलकर नहाने के पानी में मिला देते हैं और उस पानी से स्नान किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं।
जहर काटने में मददगार
पातालकोट के आदिवासी कहते हैं कि यदि कुत्ते ने काट लिया हो, तो तुरंत जोंकमारी की पत्तियों को रगड़कर घाव पर लगाना चाहिए, जबकि डांग-गुजरात के आदिवासी इस फॉर्मूले को सांप के काटने पर उसका ज़हर उतारने के लिए आजमाते हैं। इन आदिवासियों के अनुसार ये पौधा जहर को काटता है।
संक्रमण की समस्या से निजात
इसकी पत्तियों में पाए जाने वाले रसायन बैक्टिरियल इन्फेक्शन को रोकने में बेहद कारगर हैं। त्वचा पर खुजली या संक्रमण होने की दशा में इसकी 3-4 पत्तियों को कुचलकर प्रभावित अंगों पर लगाया जाए, तो आराम मिलता है।
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