Tuesday, 3 February 2015

कुछ घरेलू उपचार (Tips)



o   साठी की जड़, दारू हल्दी, गोखरू, पाढल़, एवं निशोध को समभाग लें तथा बारीक कूटपीसकर दस माशा गोमूत्र के साथ पीने से समस्त प्रकार की सूजन नष्ट हो जाती है।

o   योनि की खुजली में सन्दल का तेल लगाना हितकारी है।

o   मोर के पंख की राख तथा जली हुई पीपल को शहद के साथ चटाने से हिचकी आना और वमन होना बन्द हो जाता है। जल से सैंधा नमक बारीक पीसकर नस्य देने से भी हिचकियाँ आना (हिक्कारोग) नष्ट हो जाता है।

o   योनि की खुजली के लिए गन्धक का मलहम तथा नीम का औटाया हुआ गुनगुना जल भी अत्यन्त लाभ होता है।

o   बड़ी इलायची तथा माजूफल को समभाग में लेकर बारीक पीस लें इसके बाद दोनों बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सुरक्षित रखलें। इस चूर्ण को 2-2 माशा की मात्रा में सुबह-शाम ताजा जल से सेवन कराने से कठिन से कठिन श्वेत प्रदर का रोग भी जड़ मूल से नष्ट हो जाता है।

o   पीपल की लाख बारीक पीसकर (चूर्ण बनाकर) 6 से 8 माशा तक की मात्रा में बकरी दूध के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के प्रदर रोगों का नाश हो जाता है।

o   नीलोफर के फूल गाय के दूध के साथ पीसकर योनि पर लेप करने से (मात्र 10 दिनों में ही प्रयोग से) योनि संकुचित हो जाती है।

o   आक के फूलों को गाय के दूध के साथ पीसकर लगभग 30 दिन तक प्रातःकाल पीने से मूत्र की जलन व पथरी रोग जड़ से नष्ट हो जाता हैं।

o   माजूफल और फिटकरी को फूला समभाग लेकर पोटली बना लें। उसे योनि में रखने से (मात्र 7 से 14 दिनों तक प्रयोग से ही) योनि संकुचित हो जाती है।

o   आक की जड़ का छिलका 1 तोला की मात्रा में लेकर साफ-स्वच्छ कर ठन्डाई के समान जल में घोटकर पिलाने से सर्पविष उतर जाता है तथा आक की कुछ कोपलें चबाकर खाने से भी सर्प का विष उतर जाता है।

o   सफेद मूसली, काली मूसली, असगन्ध तीनों को समभाग लेकर दूध में काढ़ा बना लें। उसमें 2 तोला मिश्री मिलाकर सेवन करने से स्त्रियों के दिल, दिमाग की कमजोरी, धड़कन एवं घबराहट दूर हो जाती है।

o   खूनी पेचिश हो जाने पर नींबू मिलाकर दूध को फाड़ लें। छेना और पानी अलग-अलग कर लें। रोगी को फटे दूध का अलग किया पानी दिन भर में कई बार पिलायें। खूनी पेचिश में लाभप्रद योग है।

o   यदि गर्मी के कारण क्षुधा-नाश (भूख बन्द होना) हो गई हो तो 3-4 आलू-बुखारे पानी में भिगोकर प्रातः काल मसलकर सेवन करायें। गर्मी शान्त होगी तथा भूख लगेगी।

o   आलू बुखारा तथा इमली की चटनी खाने से भी गर्मी शान्त होकर भूख बढ़ती है।

o   एक तोला अकरकरा को तेज सिरके में 3 बार डुबाकर सुखा लें फिर उसमें 3 तोला शहद मिला लें। इसे सुबह-शाम 1-1 तोला की मात्रा में खिलाने से मृगी रोग नष्ट हो जाता है।

o   प्याज और नकछिकनी को पीसकर नस्य लेने से भी मृगी रोग दूर हो जाता है।

o   पीले रंग के आक के पत्ते लेकर उन पर घी चुपड़कर आग पर सेंक लें। फिर उसका रस निकला कर हल्का गरम करके कानों में डालने से कर्ण पीड़ा दूर हो जाती हैं।

o   आंक के फूल की एक लौंग 1 रत्ती पीसकर गोली बनालें। इस गोली को गरम जल के साथ सेवन करायें। पेटदर्द में तत्काल लाभ होगा। यदि पेट में सर्दी समा गई हो तो सेंक दें।

o   बथुआ के 15 ग्राम बीजों को आधा लीटर जल में औटायें। पानी चैथाई भाग शेष रहे तो छानकर सेवन करने से निश्चय ही गर्भपात हो जाता है।

o   यदि लौहसार को सात दिन तक गौमूत्र में पकाया जाये और फिर बारीक पीसकर 4 रत्ती की मात्रा में 4 माशा के गुड़ के साथ 15 दिनों तक लगातार सेवन किया जाये तो किसी भी प्रकार का पान्डु रोग हो, नष्ट हो जाता है।

o   सोंठ का काढ़ा बनाकर उसमें थोड़ा सा अरन्ड का तेल डाल दें। इसके पश्चात् उसमें भूनी हुई हींग एवं काला नमक मिलाकर सेवन से भी मूत्राघात रोग नष्ट हो जाता है।

o   गोमूत्र में शुद्ध की गई बाबची व शुद्ध गन्धक को मिलाकर सुबह-शाम मधु के साथ 3 माशे तक सेवन करने से श्वेत कुष्ट रोग नष्ट हो जाता है।

o   रसौंत को स्त्री को दूध में घिसलें उसके बाद शहद में मिलाकर कान में डालने से कान का बहना (कर्णस्त्राव) बन्द हो जाता है।

o   मिश्री तथा इलायची को बारीक पीसकर कान में डालने से कान का बहना तथा बहरापन नष्ट हो जाता है।

o   हरड़ की छाल के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से कन्ठ रोगों में अत्यन्त लाभ होता है।

o   आँवला और हरड़ के काढ़े में घी मिलाकर पीने से ‘चक्कर आना‘ बन्द हो जाता है ।

o   भांग को भून लें और पीसकर चूर्ण बनालें, इसको अल्प मात्रा में शहद के साथ चाटने से नींद आ जाती है। इसी प्रकार पीपलामूल का चूर्ण गुड़ में मिलाकर खाने से गहरी नींद आ जाती है।

o   प्रातःकाल दही, मक्खन और शहद का सेवन करने से खोई जवानी पुनः वापस आ जाती है। चेहरे की झुर्रियां दूर हो जाती है तथा मांसपेशियों की शक्ति बढ़कर स्मरणशक्ति भी मजबूत हो जाती है।

o   पीपल के चूर्ण में शहद मिलाकर खाने से पेट के रोग नष्ट होते है।

o   गेदें के फूल की पत्तियों के रस में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर कान में 1-2 बूंद डालने से कान का दर्द मिट जाता है।

o   नीम की पत्तियों को पानी में खौलाकर उसमें गुनगुना शहद डालकर कान को पिचकारी से धेाने से कान का दर्द एवं मवाद नष्ट हो जाता है।

o   मुलायम बारीक कपड़े को शहद में तर करके जले स्थान पर लगाकर पट्टी बांधने से लाभ होता है। यदि घाव हो गया हो तो-घाव को नीम के पानी से धोकर शहद का फाहा लगाकर बाँध देना चाहिए। यदि अकौता हो गया हो तो नीम के पत्तों के उबाले हुए जल से धोकर शहद और नीबूं रस मिलाकर लगाने से लाभ हो जाता है।

o   आक की जड़ का कपड़छन चूर्ण एक छटांक, इतना ही काली मिर्च का चूर्ण तथा मिश्री चूर्ण मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां तैयार कर सुरक्षित रख लें। दमा के रोगी को यह गोलियां सेवन करायें। शर्तिया लाभ होगा।

o   आक की कोपलें 3 तेाला तथा डेढ़ तोला अजवायन लेकर बारीक पीसलें। इसके बाद इसमें 1 छटांक गुड़ मिलाकर 2-2 माशे की गोलियां बनाकर प्रतिदिन प्रातःकाल खाली पेट 1-1 गोली सेवन कराने से दमा रोग सदैव के लिए नष्ट हो जाता है ।

o   इन्द्राजन के बीज 3 माशा तथा कालीमिर्च 5 नग कुटकर 1 पाव पानी में क्वाथ बना लें। पाव शेष रहने पर उतार कर तथा छान प्रातः काल 3-4 बार सेवन करने से रजोदर्शन खुलकर हो जाता है।

o   भारंगी 6 माशा, कश्मीरी केसर 6 रत्ती, गुलकन्द 6 माशा, शुद्ध हीरा हींग 6 रत्ती बारीक पीसकर 20 गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर सुरक्षित रख लें। यह 1-1 गोली दिन में 2 बार गरम जल से स्त्री को सेवन कराने से रजोदर्शन हो जाता है।

o   भुनी फिटकरी, गन्धक, चीनी, कच्चा सुहागा, आमलासार को सममात्रा में पीसकर 5 दिन तक दाद पर मलने से दाद नष्ट हो जाता है।

o   चैकिया सुहागा 1 छटांक अदरक के रस में घोटकर दाद पर लगाने से भी दाद नष्ट हो जाता है।

o   आवंले के रस में शहद मिलाकर खाने से सोमरोग (स्त्रियों का रोग) नष्ट हो जाता है।

o   सफेद मूसली, पका हुआ केला, ताड़ की जड़ एवं छुहारा को दूध में घोटकर पीने से मूत्रातिसार रोग नष्ट हो जाता है।

o   कलिहारी की जड़ स्त्री के पैरों में बांधने से बिना पीड़ा के सुगमतापूर्वक प्रसव हो जाता है।

o   हल्दी और धतुरे की जड़ की पानी में पीसकर लेप करने से स्तन-पीड़ा नष्ट हो जाती है।

o   इन्द्रायण की जड़ को पानी में पीसकर लेप करने से स्तनों की पीड़ा नष्ट हो जाती है।

o   सफेद जीरा तथा सैन्धा नमक 50-50 ग्राम, और जामुन की गुठली का सूखा चूर्ण 100 ग्राम, हजरूल यहूद 10 ग्राम को बारीक कूट-पीसकर 11 पुडि़यां बनाकर-1 पुडि़या प्रतिदिन सुबह को सेवन करने से सुजाक नष्ट हो जाता है।

o   चोबचीनी तथा मिश्री बराबर मात्रा में लेकर एक पाव पानी में रात्रि के समय भिगों दें। प्रतिदिन सुबह छानकर सेवन करने से सुजाक नष्ट हो जाता है। प्रयोग 40 दिनों तक करायें।

o   गेरू 8 माशा और तालीस पत्र 6 ताशा को बारीक पीसकर मासिकधर्म के चैथे दिन पानी से सेवन करवा देने से स्त्री सदा के लिए बांझ हो जाती हैं।

o   यदि बालक हो कब्ज हो जाये (दूध न पचे और मल न आये) तो कालानमक, हरड़, और सुहागा घिसकर दूध में पिलाने से कब्ज दूर हो जाती है।

o   कालीमिर्च का चूर्ण तथा तुलसी का रस समभाग मात्रा में पीने से विषम ज्वर दूर हो जाता है।    

o   प्याज का रस 2 लीटर, तथा शहद 1 लीटर को मिलकार अग्नि पर पकावें, शहद शेष रहने पर उतार लें फिर उसमें 4 ग्राम जावित्री, 1 ग्राम कस्तूरी, 4 ग्राम लौंग तथा 4 ग्राम केसर मिलाकर सुरक्षित रखलें। इसे सुबह-शाम 20-20 ग्राम लेकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से नामर्दी मिट जाती है।

o   शहद 20 ग्राम, हीरा हींग 10 ग्राम करें। पहले हीरा हींग को खरल करें, फिर शहद मिलाकर कई घन्टे तक पुनः खरल करें। इस औषधि को लिंग पर 3 ग्राम की मात्रा में लेप करने के बाद बंगला पान का पत्ता बँधवा दें। ठंडे तथा 4 घन्टे बाद इसे खोलकर पुनः लेप करवा कर पान का पत्ता बँधवा दें। लेप के प्रयोग काल में ठंडे जल से लिंग को बचायें। इस प्रयोग के मात्र 1-2 सप्ताह तक करने से ही लिंग में नयी शक्ति आकर नामर्द भी पूर्ण मर्द बन जाता है।

o   यदि गले में घाव हो गये हों तो मसूर की दाल औटाकर 2-3 बार गरारे करवायें या भुने सुहागे के कुल्ले करवायें अथवा कच्ची फिटकरी 5 रत्ती और सोड़ाबाई कार्बन ठन्डे पानी में मिलाकर गरारे करायें। गले के घाव शर्तिया ठीक हो जायेगें

o   यदि दाँतों में कीड़ा लग गया हो तो मुँह खोलकर कलौंजी की धूनी दें, कीड़ा मर जायेगा। या हींग दबायें अथवा हींग और कपूर मिलाकर कीड़े वाले स्थान में भर दें।

o   माजूफल और फिटकरी को औटाकर ठन्डा करके गरारे कराने से पायरिया नष्ट हो जाता है। अथवा-मौलसिरी और सुपारी की छाल जलाकर, कपूर व माजूफल 6-6 माशा तथा यूकिलिप्ट्स 6 माशा, लाहौरी नमक और बड़ी हरड़, की गुठली की गिरी 3-3 माशा को एकत्रकर बारीक पीसकर मंजन बनाकर प्रयोग करने पायरिया जड़-मूल से नष्ट हो जाती है।

o   1 किलो ग्राम शहद, आधा लीटर मीठे अंगूर का रस, 250 ग्राम अदरक का रस, तथा 2 लीटर प्याज के रस को कलईदार बर्तन में एक साथ डालकर मन्द अग्नि पर क्वाथ बनने तक पकायें। फिर उतार कर सुरक्षित रखलें। इस औषधि को 25 ग्राम लेकर दूध के साथ सेवन करें। शक्तिबर्द्धक है।

o   त्रिफला भस्म को शहद के साथ मिलाकर उपदंश पर लगाने से घाव सूख जाते है।

o   पीपल के चूर्ण के साथ शहद मिलाकर चाटने से सर्दी, खाँासी, कफ तथा ज्वर आदि रोग नष्ट हो जाते है।

o   सिरका में शहद और नमक मिलाकर चेहरे पर मलने से झाईयां नष्ट हो जाती है।

o   उठते हुए फोड़े पर-शहद और चूना लगाने से लाभ होता है। सूजन पर भी यह योग हितकारी है।

o   शहद को रूई में भिगोकर योनि में रखने से योनि की गन्दगी निकल जाती है तथा योनिशूल भी नष्ट हो जाता है।

o   मासिकधर्म के पश्चात् भग में कबूतर की बीट रखने से गर्भ ठहरता है।

o   हरड़, रसौंत और सैन्धा नमक पानी में घिसकर आँखों पर लेप करने से रोहे नष्ट हो जाते है।

o   ग्लीसरीन में अफीम मिलाकर डालने से कान का तीव्रशूल भी नष्ट हो जाता है। अजवायन को सरसों के तेल में जलाकर छान लें, इस तेल की 2-3 बूदंे  कान में डालने से भी कान का दर्द दूर हो जाता है।

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