Saturday, 27 September 2014

अंगुलहाड़ा Witlow



          यह रोग अधिक कष्टकारी हो जाता है। यह रोग अंगुली के अगले भाग में होता है। इस रोग में अंगुली में कुछ चुभने के बाद पहले हल्का दर्द उत्पन्न होता है और फिर वहां छोटा सा दाना उत्पन्न हो जाता है। इसके बाद अंगुली का दाना धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है और उस दाने में पानी भर जाता है। इससे तेज दर्द उत्पन्न होता है और फिर दाने में भरा पानी पककर पीब बन जाता है। यह रोग उत्पन्न होने पर लोग दाने से पीब निकालने के लिए चीरा लगवाते हैं। इस तरह चीरा लगवाने पर कभी-कभी रोग दूर हो जाते हैं और कभी अंगुली के अगले हिस्से का एक इंच भाग काटना पड़ जाता है। यह रोग यदि किसी मधुमेह से पीड़ित रोगी को हो जाए तो यह भयंकर रोग बन जाता है।

जल चिकित्सा के द्वारा रोग का उपचार-

          अंगुलहाड़ा रोग में जल चिकित्सा के प्रयोग से रोग जल्द ठीक हो जाता है। इस रोग में रोगी को पहले शीतल जल की पट्टी का लगातार प्रयोग करना चाहिए या मिट्टी की पुल्टिश अंगुली पर लगाकर रखनी चाहिए। इससे रोग में जल्द लाभ मिलता है और दर्द आदि में भी आराम मिलता है। इसके अतिरिक्त रोग में उपचार के साथ सिरंज बाथ भी लेना चाहिए। इससे रोग में लाभ मिलता है।

भोजन और परहेज-

          इस रोग से पीड़ित रोगी को रवेदार आटे की रोटी बनाकर खानी चाहिए। ऊपर बताए गए जल चिकित्सा के द्वारा रोग का उपचार करने पर अंगुलहाड़ा के साथ मधुमेह रोगी का पेशाब का बार-बार आना भी दूर हो जाता है।

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