Thursday, 25 September 2014

ज़रूरी है combinations समझना



अगर कोई क्रिकेट खेलने मैदान में उतरे, और आप उसे टेबल-टेनिस की बैट थमा दें, तो बेचारा १ रन भी न बना पाए.
वैसे ही क्रिकेट के बल्ले से कोई टेनिस नहीं खेल सकता. चीज़ों का यथोचित combination बहुत ही आवश्यक होता है.
ये नियम सुलभ स्वस्थ्य के लिए भी लागू होते हैं. कई बार दादी-नानी से सुना होगा आपने कि 'फलां' खाके 'फलां' नहीं खाते, 'फलां' नहीं पीते. सदियों के अनुभव से जुड़ी हैं हमारी दादी-नानियों की ये बातें, जो आजकल की दौर में हम नज़र-अंदाज़ करते जा रहे हैं.

सबसे पहले मैं एक उदाहरण अपने आयुर्वेद से ही लेता हूँ:

सिंधूत्शर्कराशुण्ठीकणामधुगुडै: क्रमात ।
वर्षादिष्वभयाभ्यस्ता रसायन गुणैषिणा ।। (योगरत्नाकर: ४९९)

हरीतकी/हर्रे को आयुर्वेद में माँ का दर्ज़ा दिया गया है, जो शरीर की दुर्बलता नष्ट करके दीर्घायु प्रदान करती है. परन्तु हरीतकी को भी विशेष combinations के साथ लेनेका सुझाव बताया गया है, जो इस प्रकार है:
१) वर्षा ऋतु में 'सैन्धव' नमक के साथ
२) हेमंत ऋतु में 'शक्कर' के साथ
३) शरद ऋतु (पूर्वार्ध) में अदरक के साथ
४) शरद ऋतु (शेषार्ध) में पिप्पली/ पेप्पर के साथ (जो सोंठ के साथ अक्सर आचारों में डाला जाता हैं)
५) वसंत ऋतु में मधु के साथ
६) ग्रीष्म ऋतु में गुड़/मिट्ठे के साथ

 ये तो हुआ एक उदाहरण. अब ज़रा अपनी वैज्ञानिक दृष्टि डाली जाए. एक बात तो तय है कि विभिन्न ऋतुओं में बाह्य तापमान और आद्रता के साथ शरीर को समन्वय बिठाना पड़ता है.

जाड़े में शरीर को अंदरूनी गर्मी की ज़रुरत होती है, अतः glucose और fat metabolism तेज़ होता है. ऐसे में खाने में gluocose तथा fat से परिपूर्ण चीज़ों का प्रयोग करना चाहिए. इसीलिए कहते हैं की जाड़े में मेवे-मिष्टान्न, dry fruits इत्यादि छक कर खाना चाहिए. इसी लिस्ट में गोंद तथा तिल भी आते हैं मगर इनका combination होना चाहिए मधु या गुड़ के साथ. मकर संक्रांति में तिल के लड्डू (गुड़ के पार वाले) खाने का विधान है. इसका मतलब ये नहीं कि १४ जनवरी को खाया और हो गया. ये तो बस सबब है याद रखने का ताकि लोग तिल-गोंद-गुड़ इत्यादि का सेवन अधिक से अधिक इस ऋतु में कर सकें.
इसके विपरीत, गर्मी के समय में ये metabolism बहुत धीमी पड़ जाती है. ऊपर से स्वेद/पसीने के कारण काफी लवणों का क्षय भी होता है शरीर में. सैन्धव तथा काले नमक में दर्जनों किस्म के लावन मौजूद होते हैं जो शरीर के metabolism को सुचारू रूप से चलने में मदद करते हैं. ग्रीष्म ऋतु में गरिष्ठ भोजन (अत्यधिक मात्र में मेवे मिष्टान्न, dry-fruits इत्यादि) पाचन तंत्र के लिए हानिकारक है.

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