Saturday, 20 September 2014

तृषा रोग के (तेज प्यास) लक्षण

तेज प्यास

    यह एक प्रकार का ऐसा रोग है जिसमें रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक प्यास लगती है। रोगी व्यक्ति जितना भी पानी पीता है उसे ऐसा लगता है कि उसने बहुत ही कम पानी पिया है और वह बार-बार पानी पीता रहता है।
तृषा रोग के (तेज प्यास) लक्षण-
   इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक प्यास लगती है तथा रोगी को अपना गला हर समय सूखा-सूखा सा लगता है।
तृषा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
•तृषा (तेज प्यास) रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को एनिमा द्वारा अपना पेट साफ करना चाहिए और इसके बाद दिन में 2 बार कटिस्नान करना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
•इस रोग से पीड़ित रोगी को रात को सोते समय अपनी कमर पर कुछ समय के लिए भीगी पट्टी लगाकर सोना चाहिए। इससे तृषा रोग (तेज प्यास) ठीक हो जाता है।
•तृषा रोग (तेज प्यास) का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने के लिए सबसे पहले रोगी को कुछ दिनों तक रसाहार तथा फलाहार भोजन करना चाहिए और इसके बाद धीरे-धीरे पानी पीना चाहिए।
•तृषा रोग को ठीक करने के लिए आसमानी रंग की बोतल के सूर्यतप्त जल को लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन 8 बार रोगी को सेवन करना चाहिए। इससे रोगी का रोग कुछ ही दिनों में ही ठीक हो जाता है।

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