Wednesday, 16 November 2011

इन बातों का ध्यान न रखा तो हो जाएंगे इस लाइलाज बीमारी के शिकार


माना जाता है कि दमा यानी एस्थमा एक ऐसा रोग है जो एक बार हो जाए तो दम निकलने के बाद ही जाता है।आमतौर पर यह रोग अनुवांशिक होता है तो कुछ लोगों को मौसम के कारण हो जाता है। इसके कारण रोगी कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाते और जल्दी थक जाते हैं। जब दमा रोग से पीडि़त रोगी को दौरा पड़ता है तो उसे सूखी खांसी होती है और ऐंठनदार खांसी होती है। इस रोग से पीडि़त रोगी चाहे कितना भी बलगम निकालने के लिए कोशिश करें लेकिन फिर भी बलगम बाहर नहीं निकलता है। दमा रोग प्राकृतिक चिकित्सा से पूरी तरह से ठीक हो सकता है। लेकिन अगर यह रोग अनुवांशिक न हो तो कुछ बातों की सावधानी रखकर इस रोग से बचा जा सकता है।

दमा रोग होने का कारण:-



   - औषधियों का अधिक प्रयोग करने के कारण कफ सूख जाने से दमा रोग हो जाता है।

   - खान-पान के गलत तरीके से दमा रोग हो सकता है।

   - मानसिक तनाव, क्रोध तथा अधिक भय के कारण भी दमा रोग हो सकता है।

    - खून में किसी प्रकार से दोष उत्पन्न हो जाने के कारण भी दमा रोग हो सकता है।

    - नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करने के कारण दमा रोग हो सकता है।

    - खांसी, जुकाम तथा नजला रोग अधिक समय तक रहने से दमा रोग हो सकता है।

    - नजला रोग होने के समय में संभोग क्रिया करने से दमा रोग हो सकता है।

    - भूख से अधिक भोजन खाने से दमा रोग हो सकता है।

    - मिर्च-मसाले, तले-भुने खाद्य पदार्थों तथा गरिष्ठ भोजन करने से दमा रोग हो सकता है।

    - फेफड़ों में कमजोरी, हृदय में कमजोरी, गुर्दों में कमजोरी, आंतों में कमजोरी, स्नायुमण्डल में कमजोरी तथा नाकड़ा रोग हो जाने के कारण दमा रोग हो जाता है।

    - मनुष्य की श्वास नलिका में धूल तथा ठंड लग जाने के कारण दमा रोग हो सकता है।

    - धूल के कण, खोपड़ी के खुरण्ड, कुछ पौधों के पुष्परज, अण्डे तथा ऐसे ही बहुत सारे प्रत्यूजनक पदार्थों का भोजन में अधिक सेवन करने के कारण दमा रोग हो सकता है।

    - मनुष्य के शरीर की पाचन नलियों में जलन उत्पन्न करने वाले पदार्थों का सेवन करने से भी दमा रोग हो सकता है।

    - मल-मूत्र के वेग को बार-बार रोकने से दमा रोग हो सकता है।

    - धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों के साथ रहने या धूम्रपान करने से दमा रोग हो सकता है।


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