Monday, 25 October 2010

हिस्टीरिया : मनोरोग का प्रकोप

हिस्टीरिया : मनोरोग का प्रकोप
सर्वप्रथम एरंड तेल में भुनी हुई छोटी काली हरड़ का चूर्ण ५ ग्राम प्रतिदिन लगातार दे कर उसका उदर शोधन तथा वायु का शमन करें।
सरसों, हींग, बालवच, करजबीज, देवदाख मंजीज, त्रिफला, श्वेत अपराजिता मालकंगुनी, दालचीनी, त्रिकटु, प्रियंगु शिरीष के बीज, हल्दी और दारु हल्दी को बराबर-बराबर ले कर, गाय या बकरी के मूत्र में पीस कर, गोलियां बना कर, छाया में सुखा लें। इसका उपयोग पीने, खाने, या लेप में किया जाता है। इसके सेवन से हिस्टीरिया रोग शांत होता है।
लहसुन को छील कर, चार गुना पानी और चार गुना दूध में मिला कर, धीमी आग पर पकाएं। आधा दूध रह जाने पर छान कर रोगी को थोड़ा-थोड़ा पिलाते रहें।
ब्रह्मी, जटामांसी शंखपुष्पी, असगंध और बच को समान मात्रा में पीस कर, चूर्ण बना कर, एक छोटा चम्मच दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करें। इसके साथ ही सारिस्वतारिष्ट दो चम्मच, दिन में दो बार, पानी मिला कर सेवन करें।
ब्राह्मी वटी और अमर सुंदरी वटी की एक-एक गोली मिला कर सुबह तथा रात में सोते समय दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
जो रोगी बालवच चूर्ण को शहद मिला कर लगातार सवा माह तक खाएं और भोजन में केवल दूध एवं शाश का सेवन करे, उसका हिस्टीरिया शांत हो जाता है।
अगर रोगी कुंवारी लड़की है, तो उसकी जल्द शादी करवा देनी चाहिए। रोग अपने आप दूर हो जाएगा।

No comments:

Post a Comment

गर्भ नहीं ठहरता हो तो सौंफ को खाएं इस तरह

गर्भधारण करने के बाद महिला को सौंफ और गुलकन्द मिलाकर पानी के साथ पीसकर हर रोज नियमित रूप से पिलाने से गर्भपात की आशंका समाप्त हो जाती ह...