यूँ तो आयुर्वेद में सौंदर्य प्रदाता विविध प्रयोग पाए जाते हैं.जिनके प्रयोग से निश्चित ही पूर्ण सुंदरता की प्राप्ति होगी.परन्तु वे प्रयोग यदि निम्न मन्त्र के साथ प्रयोग किये जाये जो अद्भुत और तीव्र प्रभाव प्रदान करते हैं. आयुर्वेद में भी बिना अभिमंत्रित किये वनस्पति का सेवन नहीं किया जाता है,परन्तु कतिपय आलस के कारण लोगो ने इस प्रभाग का प्रयोग करना ही बंद कर दिया जिसके फलस्वरूप जो प्रभाव होना चाहिए ,वो नहीं मिल पता है.आप खुद ही एक काम करियेगा ,नीचे जो प्रयोग दिए गए हैं उन्हें किसी को बगैर मंत्र के प्रयोग करवाकर देखिये और दुसरे को मन्त्र के साथ.प्रभाव आपको खुद ही आश्चर्यचकित कर देगा. जब भी आपको सौंदर्य से सम्बंधित कोई प्रयोग करना हो,उस सामग्री या वनस्पति को आप निम्न मंत्र से ३२४ बार अभिमंत्रित कर दे फिर प्रयोग करे.ये वज्रयान साधना का मंत्र है जो स्वतः ही सिद्ध है,इसे पृथक रूप से सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है.
ॐ क्लीं अनंग रत्यै पूर्ण सम्मोहन सौंदर्य सिद्धिम क्लीं नमः
जिनके मुख से दुर्गंध आती हो या दांत हिल रहे हो यदि वो नित्य पिसते को खूब चबाकर खाए तो मुख की दुगंध हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाती है और हिलते दांत भी स्थिर हो जाते है.
जिसे अपनी देह की कृशता यानि दुबलापन मिटाना हो तो पिश्ते के साथ शक्कर का सेवन २ मॉस तक करे,दुबलापन दूर हो जाता है.
लोग अक्सर गरम पानी के साथ शहद लेते हैं मोटापा दूर करने के लिए,यदि उपरोक्त मंत्र के साथ मात्र १ माह ही प्रयोग करके देखे, लाभ देखकर आप खुद आश्चर्यचकित हो जायेंगे.
ठीक इसी प्रकार तुलसी की ११ पत्तियों को यदि छाछ के साथ १ माह सेवन किया जाये तो भी व्यर्थ की चर्बी सरलता से गलकर बाहर हो जाती है.
यदि व्यक्ति अपना वजन कम करना चाहता हो तो नीम के फूलों को पीसकर और कपडे से छानकर शहद और पानी के साथ सेवन करे,निश्चय ही वजन कम हो जायेगा.
हरसिंगार या पारिजात के पुष्पों का लेप चेहरे पर करने से चेहरे पर निखार आता है और निश्चय ही गोरापन बढ़ता है.
यदि तुलसी की पत्तियों को शहद के साथ लिया जाये तो पथरी होने की कोई सम्भावना नहीं रहती.
नीम्बू का रस या गुडहल की पत्ती पीसकर सर पर उस स्थान पर लेप करे जहाँ बाल झड गए हो,ये क्रिया २ मास तक करने पर पुनः बाल आने लगते हैं और काले हो जाते हैं.
जिन लोगों को भी भोजन के तुरंत बाद मल त्याग करने की आदत होती है,यदि वो कचनार की कली का सेवन करे तो ये बीमारी दूर हो जाती है.
यदि मधुमेह की बीमारी हो तो मेथी के पत्तों का रस पीने से ये बीमारी दूर हो जाती है.
पुनर्नवा चूर्ण का नित्य २ ग्राम सेवन करने से कायाकल्प होता ही है और सौंदर्य की वृद्धि होती ही है.
यदि १ बूँद घृत को लगाकर धतूरे की पत्ती को तवे पर गरम कर स्त्री या लड़की अपने स्तन पर रख कर कस कर बाँध ले और रात भर रहने दे,दोनों तरफ १-१ पत्ती का ही प्रयोग करना है.निश्चय ही ७ दिन में पूर्ण उभार की प्राप्ति होती ही है,बड़ी बड़ी दवाइयां जो कार्य नही कर पाती,वो कार्य ये सामान्य सा दिखने वाला प्रयोग पूरा कर देता है और नारी के सौंदर्य को उभार देता है.
खीरे के रस में शहद मिलाकर पूरे शरीर और चेहरे पर लेप कर १५ मिनट रखे और बाद में कुनकुने पानी से स्नान कर ले,सारी झुर्रियाँ धीरे धीरे दूर हो जाती हैं.
V1. सर दर्द के समय यदि सौंफ ओर पानी को मिला कर पेस्ट जैसा बना ले ओर उसे माथे पर लगाये तो लाभदायक होता हैं .
2. यदि सौंठ और थोडा सा गुड को खाने के बाद लिय अजय तो यह पाचन के लिए अच्छा होता हैं .
3. यदि खाने के बाद जीरा ओर मिस्री को थोडासा खाया जाये तो यह स्वास की दुर्गंग्ध को दूर कर देती हैं .
4. यदि किसी जहरीले कीट/कीड़े ने काट लिया हैं ओर कुछ भी उपचार जो होना चाहिए वह संभव नहीं हो प् रहा हो तो थोडा सा टूथ पेस्ट उस जगह लगा दे दर्द में कमी होगी.
5. यदि कनेर की पत्तियों को मीठे तेल में उबाल कर यदि इस तेल को जोइंट्स पर लगाया जाये तो यह दर्द में कमी करता हैं .
6. यदि एक आवला रोज़ खाया जाये तो जिन बच्चों को तुतलाने की समस्या हैं उसमें काफी लाभ होता हैं .
7. यदि धृत कुमारी के गुदे को गाय के दूध के साथ मिला कर चेहरा पर लगाया जाये ओर आधे घंटे के बाद उसे हलके कुनकुने पानीसे धो लिया जाये तो चहरे में पढ़ रही झेयाँ दूर हो जाती हैं , इसे कम से कम एक /दो महीने तो करे.
8. एक आमला रोज़ खाने पर यह दांतों सेसंबंधित समस्या के लिए अच्छा होता हैं
9. त्रिफला पावडर को शहद के साथ लिया जाये तो यह भी स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता हैं
10. आमला का तेल केश के लिए भी अच्छा होता हैं , ओर यदि इनकी मालिश सिरदर्द के समय की जाये तो यह भी लाभ दायक हैं .
11. यदि थोडा सा सौंफ यदि पानी में मिलाकर किसी तांबे के बर्तन में रात को रख दिया जाये सुबह इस पानी को एक कपडे से छान कर इसे एक गिलास पी लिया जाये तो यह यह पेट के लिए बहुत अच्छा होता हैं .
1. यदि शहद दो /तीन चमच्च यदि पानी के साथ सोने से पहले ली जाये तो यह शरीर का वजन कम करने केलिए बहुत अच्छा उपाय हैं पर या किसी भी हाल में २ / ३ महीने से ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए .
2. यदि शहद दो /तीन चमच्च यदि दूध के साथ सोने से पहले ली जाये तो यह शरीर का वजन बढ़ाने करने केलिए बहुत अच्छा उपाय हैं पर या किसी भी हाल में २ / ३ महीने से ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए .
3. प्याज ओर शहद का बराबर मात्रा में लिया गया मिश्रण कफ नष्ट करता हैं
4. नारियल के तेल से किसी भी मौसम में मालिश करना अच्छा रहता हैं .
5. एक/दो चम्मच अश्वगंधा का चूर्ण खाने के बाद एक गिलास मीठा दूध पी लेना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता हैं .
6. यदि आप थके हुए हैं तो दो/तीन बूँद शहद की एक गिलास पानी में डाल कर पी लीजिये तुरंत शक्ति अनुभव होगी .
7. यदि अर्जुन पेड़ की छाल को चाय की पत्ती की तरह ,चाय बनाने मेंप्रयोग करे तो यह ह्रदय के लिए बहुत ही अच्छी होती हैं
8. यदि खाना खाने के बाद ३ ग्राम अर्जुन पेड़ की छाल को पानी के साथ लिया जाये तो स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती हैं .
9. रात्रि काल में दही या खट्टी चीजे नहीं खाना चाहिए
10. हल्दी ओर प्याज को मिक्स करके हल्का सा गर्म करके जहाँ पर दर्द हो रहा हो एक लेप की तरह लगाये यह मोच ओर इन्टरनल पैन के लिए अच्छा होता हैं ( पर यदि कोईmuscular pain स्टार्ट हुआ हैं तो पहले दो दिन तो उस जगह पर बर्फ किसी कपडे में लपेट कर हल्का हल्का लगाये .)
1. यदि एक या दो चुटकी गुग्गल को पानी या दूध के साथ दिन में दो बार लिया जाये तो शरीर में यदि कोई हड्डी टु टी हो तो जल्द लाभ मिलताहैं .
2. १ या २ ग्राम हल्दी लो भुन्नकर चूर्ण बना कर दिन में चार बार ले तो काली खांसी जल्दी से ठीक होती हैं.
3. यदि आपने केले ज्यादा खा लिए हो तो आप एक या दो इलायची जरुर खां ले पाचन में आराम होगा.
4. यदि प्याज का रस रात को सोते समय बालों में लगा ले ओर प्रातः काल उठ कर बाल धोले तो केशो के अ समय गिरने से छुटकारा पायाजा सकता हैं .
5. यदि नीबू के रस को लहसुन के रस के साथ मिलकर बालों में लगाये तो जू की तकलीफ समाप्त हो जाती हैं .
6. दो लौंग के साथ एक दो तुलसी की पत्ती को चाय बनाते समय मिला लिया जाये तो जुकाम में लाभ होता हैं .
7. यदि आमले का मुरब्बा सुबह खाली पेट खाया जाये तो यह याद दश्त बढ़ने में उपयोगी होता हैं .
· भोजन के पुर्व पैर धोने से जठराग्नि तीव्र होती हैं तथा भोजन के पश्चात् हाथ धोकर आँख पर फेरने से नेत्र विकार दूर होते हैं .
· भोजन के पुर्व यदि स्नान कर लिया जाये ओर भोजन के पश्चात् थोडा सा विश्राम किया जाये तो यह लाभ दायक होता हैं .
· नित्य नीम का दातुन करने से दाँतों से सम्बंधित सभी रोग दूर हो जाते हैं ,
· हम सभी की आदत हैं की भोजन विशेषतः रात्रि के बाद थोडा सा टहलने निकल जाते हैं पर यह बेहद नुकसान दायक हैं .भोजन करने के उपरान्त टहलना अच्छा नहीं .
· कहा गया हैं की "हरड बहेड़ा आवला घी शक्कर खाए हांथी दावे कांख में साठ कोस ले जाये" , आवला आदि पौष्टिक चीजों को अपने भोजन में जरुर शामिल करे.
· मुहांसे की समस्या से बहुत लोग प्रभावित होते हैं , यदि थोडा सा शारीरिक श्रम अपनी सुविधानुसार करे जिससे की शरीर से पसीना निकलने लगे फिर अपना चेहरा किसी भी साफ तौलिये से साफ कर ले.बाज़ार से मुल्तानी मिटटी लेकर थोडा सा उसे पानी में भिगों दे ,जब पेस्ट सा बन जाये उसे अपने चहरे पर धीरेधीरे लगा ले , लगभग ३०/३५ मिनिट के बाद पानी से अहिस्ता अहिस्ता से उसे धो ले , फिर आप चाहे तो कोई भी क्रीम भी लगा सकते हैं . हाँ ये ध्यान जरुर रखे की जिस समय पेस्ट मुख पर लगा हो उस समय हसे न , नहीं तो त्वचा खीचने से थोडा सा दर्द तो होगा ही.
· खांसी में काली मिर्च को थोड़े से घी में हल्का गरम कर उसमें थोड़ी सी शक्कर डाल दे , फिर इस कालीमिर्च के एक दो दाने दाने खा ले आराम होगा.
· जुकाम होने पर गरम दूध में कालीमिर्च का चूर्ण ओर मिश्री मिला कर लेना लाभदायक हैं.
· यदि आसन पर अधिक देर तक नहीं बैठा जा सकता हो तो अपने पैर के जोड़ ओर घुटने को जैतून के तिल से धीरे धीरे मालिश करे आपको लाभ होगा.
· गर्मियों में कई बार हांथो पर छोटे छोटे दाने से आ जाते हैं इससे बचाव के लिए नीबू के रस से निय मित करें.
· नाखुनो पर प्रतिदिन जैतून के तेल (आलिव आयल ) की मालिश करें ,इससे नाख़ून मजबूत व चमकीले होंगे .
· चन्दन ओर हल्दी को गुलाब जल के साथ अच्छे से मिला कर पेस्ट बना ले ध्यान दे की मिलन की क्रिया किसी पत्थर पर ही हो, इस पेस्ट को अपने चहरे पर लगा ले तथा लगभग आधे घंटे के बाद हलके कुनकुने पानी से इसे धो ले चेर्हरे की कान्ति वर्धक प्रयोग हैं .
· कहते हैं सुबह के नाश्ते में अंकुरित चने खाए तथा साथ ही साथ धीरे धीरे हल्का गर्म मीठा दूध भी पीते जाये साथ ही साथ रात्रि को एक गिलास हलके गर्म मीठे दूध में एक चम्मच शुद्ध घी ओर एक बादाम घिस कर मिला ले . ये दोनों कार्य करे फिर देखे आप का स्वास्थ्य निखर उठेगा .
प्रथम विधि : दो चमच्च गिलोय चूर्ण ले ले ओर लगभग ३/४ कप पानी में डाल कर मध्यम आंच में उबाल ले, जब पानी एक कप के लगभग बचे , तब उसे छान कर पी ले , बस इतना ही करना हैं , ओर कोई नियम नहीं , मैंने मात्र २/३ सप्ताह में ही परिणाम प्राप्तकर सका. (मुझे तो एक कल्प प्रयोग विशेष के तहत गिलोय के हरे टुकड़े लेने को कहा था , पर उसके उपलब्ध न होने के कारण बाज़ार में उपस्थित गिलोय चूर्ण का ही प्रयोग कर रहा था .)
दूसरा प्रयोग : अक्सर खांसी या शरीर में कहीं भी अंदुरनी दर्द होने पर हमें हल्दी मिला हलका कुनकुना दूध पीने को कहा जा ता हैं यह शरीर के नाकेबल कफ़ को समाप्त करता हैं बल्कि ये भी शरीर के आन्तरिक भागों को मरम्मत करने के लिए बहुत उपयोगी हैं . पर जब भी पहले मुझे खांसी अधिक हो तो यह पीने दिया जाता था, पर कफ़ की स्थिति ओर अधिक हो जाती थी , इसे पीने से में बचाव ही करता था, पर यह तो मानी गयी घरेलु दवा हैं लगभग हर भारतीय परिवार में इसका का प्रयोग तो जानने वाले हैं . पर मुझे ही ऐसा क्यों होता हैं .
एक उच्चस्तरीय आयुर्वेद्ग्य से मैंने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा , मात्र फ़ॉर्मूला जाने से कुछ नहीं होता अन्दर के रहस्य भी तो समझो
क्या इसका क्या रहस्य हैं ?
उन्होंने कहा - जब हल्दी को गाय के दूध के साथ लिया जाता हैं तब ही ये कफ़ नाशक हैं , भैस के साथ यह तो कफ़ वर्धक हो जाती हैं
(में वर्षों से भैसके दूध के साथ हि लेता आया रहा था . यही गलती हो रही थी .)
तीसरा प्रयोग: सदगुरुदेव जी ने एक सरल सा प्रयोग पत्रिका कार्यालय में काम कररहे गुरु भाइयों को बताया था , जब भी सुबह आखें ठन्डे पानी से धोना हो हो , एक काम करे पहले ठंडा पानी अपने पुरे मुंह में भर ले, इसी स्थिति में रहतेहुए आखें में ठंडा से पानी से छींटे मारने पर न केबल आखें साफ होंही बल्कि वे आजीवन स्वास्थ्य भी रहेंगी .
चतुर्थ प्रयोग : आयुर्वेदज्ञ कहते हैं की भोजन के उपरान्त यदि तुरत मूत्र निष्काशन के लिए जाये तो विशेले तत्व शरीर से बाहर हो जाते हैं बल्कि पथरी होने /बनने की सम्भावनाये भी काफी कम हो जाती हैं .
पंचम प्रयोग : हम मेंसे हर कोई साफ और तरो ताजा अपनी त्वचा चाहता हैं पर क्या सदगुरुदेव देवजी ने इस बारेमें कभी कुछ कहा हैं , शायद आप यह विस्वास न कर पाए पर उनके दिव्य आँखों से भला जीवन की कोई स्थिति बच सकती हैं कभी नहीं . (उन्होंने तो जीवन की एक एक स्थिति पर अपने विचार हमारे सामने रखे हैं उन स्थतियों पर भी जिनके के बारेमें हम सोच भी न पाए , अगर वे ही अपने बच्चों को न बतायेगे तो भला कोन बताएगा उन्हें मात्र हमारा साधनात्मक पिता मानना उचित नहीं हैं वे तो हर अर्थों में हमारे पिता हैं ही उन्होंने साधना ही नहीं बल्कि इसके अतिरिक्त भी हर पक्षों में हमारा मार्गदर्शन किया हैं ) उन्होंने ही बताया हैं की स्नान तो सभी करते हैं पर यदि स्नान करने के पहले साफ थोड़े से मोटे तौलिये से अपने शरीर को थोडा अच्छी तरह से रगड़ ले लगभग ७/८ मिनिट फिर स्नान कर ले , सारे रोम कूप खुल जायेंगे . ओर एक विशेष वात में आपको यहाँ बताना चाहूँगा की क्या इससे साधना में कोई सफलता ज्यादा मिलेगी , हाँ क्योंनाही जब शरीर से सारे रोम कूप खुले होने साफ होने तो इनके मध्यम से भी तो जप होता हैं ही
सेहुंया रोग जो तवचा के पर हलके हलके सफ़ेद दाग तो नहीं पर उस जैसी आक्रति बना देते हैं . इसके लिए आप लाल चन्दन ले कर साथ ही साथ भुना हुआ सुहागा भी थोडा सा ले ले , किसी भी पत्थर के टुकड़े पर लाल चन्दन घिसते जाये उसमें थोडा सा भुना सुहागा भी धीरे धीरे मिलाते जाये जब एक रस सा हो जाये तो इस पेस्ट को उंगली पर लगा कर जहाँ पर ये धब्बे बन रहे हैं वहां पर लगा ले , साडी रात लगा रहने दे , या दिन भर भी. फिर साफ पानी से धो ले इस तरह एक एक हफ्ते के अंदर कि परिवर्तन आप को समझ आने लगेगा.
स्त्री पुरुष ,बच्चे भी यदि सोते समय ठन्डे पानी के साथ बाल हरड का चूर्ण ले ले सामान्य मात्र १/२ चम्मच से १ चम्मच तक के बीचमें रहे तो , पाचन संबंधित समस्याए दूर हो जाती हैं.
यदि हौंठ (lips) फटते हो तो नमक को घी में मिलाकर हौंठ और नाभि पर लगा ले , हौंठ फटना बंद हो जायेंगे .
एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच पीसी हल्दी ओर १० ग्राम गुड घोल ले , सुबह शाम दोनों बार पिए शरीर के अन्दुरुनी दर्द समाप्त हो जाते हैं