Friday, 10 February 2012

जानिए अपर लिप के बालों से कैसे पायें छुटकारा

अप्‍पर लिप के बालों को हटाना काफी दर्दरहित होता है। पर इन्‍हें हटाना भी काफी जरुरी होता है क्‍योंकि इससे चेहरा भद्दा और गंदा लगता है। आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलू पायों के बारे में बताएगें जिन्‍हें आपको आज़माने में दिक्‍कत भी नहीं आएगी और दर्द भी नहीं होगा। 

घरेलू उपायों से छुपाएं अप्‍पर लिप के बालों को- 

1.अप्‍पर लिप को हटाने का सबसे सरल उपाय है हेयर रिमूवल क्रीम। इसे अपने होंठों के ऊपर लगाएं और थोड़ी देर बाद गीली रुई से साफ कर लें। 

2.दूसरा सरल उपाय है, हल्‍दी पेस्‍ट को लगाना। इस पेस्‍ट को उस स्‍थान पर लगाएं और फिर देखें की बालों का रंग कैसे हल्‍का हो जाता है। यह एक ब्‍लीच के रुप में कार्य करता है। 

3.दही भी एक प्राकृतिक ब्‍लीचिंग एजेंट के रुप में जाना जाता है। दही में पाया जाने वाला एसिड उस स्‍थान के बालों का रंग हल्‍का कर उस स्‍थान को कोमल बना देता है। 

4. हर रात सोने से पहले हल्‍दी और शहद का पेस्‍ट अपने होंठों के ऊपर लगाएं। इससे बालों की ग्रोथ धीरे धीरे कम हो जाएगी। 

5. चुकंदर या गाजर के रस को ताज़ी क्रीम मे मिला कर होंठों के ऊपर मालिश करने से वह स्‍थान गुलाबी हो जाएगा। हर समय चेहरे के बाल निकलवाने से उस स्‍थान पर झुर्रियां पड़ जाती हैं इसलिए कोशिश करें कि घर पर ही बाल निकाल लें।

घर पर कैसे करें बालों को कर्ल

आजकल लड़कियों के लिए रोज नई-नई हेयरस्‍टाइल बनाना मानों जैसे आम बात हो चुकी है। पल में सीधे बाल तो पल में कर्ली। पर क्‍या रोज़ इन हेयरस्‍टाइल को बदलने के चक्‍कर में ब्‍यूटि पार्लर के चक्‍कर लगाना जरुरी है। क्‍या मनपसंद हेयरस्‍टाइल को हम घर में ही नहीं बना सकते। कभी-कभी आपके मन में ऐसे सवाल जरुर उठते होगें। हमने आपको पिछले लेख में बालों को स्‍ट्रेट करने का तरीका बताया था इसलिए आज हम आपको बालों को कर्ली करना भी बताएगें। चलिए जानते हैं कि घर में किस तरह से आप अपने बालों को कर्ली कर सकती हैं। 

बालों को घर में कर्ली करने के टिप्‍स- 

1.अपने बालों को शैम्‍पू करें और उन्‍हें कंघी की मदद से अंदर की ओर ब्‍लो ड्राय करें। अगर कर्ल करने में आपको परेशानी आ रही है तो आप इसके लिए सीरम, बॉबी पिन और हेयर स्‍प्रे भी इस्‍तमाल कर सकती हैं। 

2.आप फोम रोलर खरीद सकती हैं और उससे गीले बालों को ऊपर की ओर मोड़ कर कस के बांध लें। नीचे के बालों के लिए बडे़ रोलर का यूज़ करें और आगे के बालों के लिए छोटे रोलर का यूज़ करें। इसके बाद ब्‍लो ड्राय करें और सावधानी से उन्‍हें निकाल कर क्‍लिप या पिन लगा कर बालों को सेट कर लें। 

3.अगर आपको लचकदार कर्ल बाल चाहिए तो हेयर स्‍ट्रेटनर का इस्‍तमाल करते हुए बालों को वेवी लुक दें। आप इस हेयरस्‍टाइल बिना परेशानी के रोज़ आज़मा सकती हैं। 

4.अगर बाल छोटे हैं तो उन्‍हें ब्‍लो ड्रायर, कंघी और छोटे रोलर की मदद से कर्ल किया जा सकता है। आप चाहें तो पेपर स्‍ट्रिप के इस्‍तमाल से भी यह काम कर सकती हैं। 

5.कोमल बालों के लिए आपको सॉफ्टनर का इस्‍तमाल करना होगा। अमोनिया बेस्‍ड और कठोर शैम्‍पू का प्रयोग बिल्‍कुल न करें अगर आपको अपने कर्ल कोमल और मुलायम बनाने हों तो। 

बालों में मेंहदी के फायदे

बालों की समस्‍या के लिए हिना एक प्राकृतिक उपचार है। सदियों से हमरी दादी-नानी इसके प्रयोग से लाभ उठाती आ रहीं हैं। इसको लगाने के लिए आपको किसी महंगे सलून में जाने की जरुरत नहीं पडे़गी। बल्कि इसको आसानी से घर बैठे ही बालों में लगाया जा सकता है। इसको बालों में लगाने से बाल जड़ से मजबूत बनते हैं और अगर सिर में रुसी है तो वह भी चली जाती है। चालिए जानते हैं इसके और गुणं- 

हिना का चुनाव अपनी जरुरत के हिसाब से करें- 

1.रुसी से मुक्‍ती के लिए- दही में 4 चम्‍मच हिना पाउडर मिलाइये। उसके बाद एक अलग बरतन में चाय की पत्‍तियों को पानी में खौला कर उसका पानी हिना पाउडर में डाल दीजिए। अब इस मिश्रण में नींबू नीचोड कर फ्रिज में पूरी रातभर रहने दीजिए। इसके बाद इस मिश्रण को तेल लगे हुए बालों में लगाइये और एक घंटे बाद बालों को धो लीजिए। 

2. बालों में रंग चढ़ाने के लिए- एक कटोरे में चार चम्‍मच हिना पाउडर डाल कर उसमें कॉफी पाउडर मिलाएं। इसमें पानी मिलाएं और रात भर ऐसे ही रहने दें। सुबह अपने बिना शैंपू लगे हुए बालों पर इसको लगा लें। इसको 1 घंटे तक के लिए अपने सिर पर लगाए रखें और फिर सादे पानी से धो लें। उसी रात अपने बालों पर तेल लगा लें और दूसरे दिन अपने बालों को शैंपू से धो लें। इससे आपके बालों में रंग चढ़ जाएगा और वह खूबसूरत भी लगने लगेगें। 

3. मुलायम सिल्‍की बालों के लिए- दो अंडे तोड़ कर हिना पाउडर में मिलाएं। थोड़ा सा पानी डाल कर इसे पेस्‍ट बना कर तुरंत लगा लें और एक घंटे बाद इसे शैंपू से धो लें। बालों को शैंपू से ही धोना चाहिए वरना अंडे की बदबू आपको पेरशान कर देगी।

प्राकृतिक चिकित्‍सा: स्‍वस्‍थ रहने का विज्ञान

स्‍वास्‍थ्‍य को जीवन की एक बहुत महत्‍वपूर्ण निधी माना जाता है। स्‍वास्‍थ्‍य एंव रोग के विषय में प्राकृतिक चिकित्‍सा के अपने कुछ मौलिक सिद्धांत हैं, जिसके उल्‍लंघन पर तमाम रोग होते हैं। हमारे आस पास यानी की हमारी प्राकृति में ही इतनी अनमोल चीज़े छुपी हुई हैं कि अगर हम उनको अपने सेहत को सुधारने के लिए प्रयोग करेगें तो हम हमेशा ही मुस्‍कुराता हुआ जीवन जीएगें। चलिए जानते हैं कि प्रकृति में ऐसी कौन सी चीजे हैं जिनसे हमें लाभ मिल सकता है। 

1.संतुलित खान-पान: स्‍वस्‍थ रहने के इन तरीको को में से सबसे पहला स्‍थान संतुलित खान पान का है। ताजे फल और हरी पत्‍तेदार सब्जियां व अंकुरित अन्‍न इस दृष्ति से सर्वाधिक उपयुक्‍त है। ये आहार स्‍वास्‍थ्‍य को उन्‍नत करने के साथ साथ रोगों से दूर रखते हैं। 

2.मिट्टी से उपचार: शरीर पर तरह तरह की मिट्टियों का लेप लगाने से लाभ होता है। हमारे शरीर को शीतलता देने के लिए मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। यह शरीर के दूषित पदार्थ को घोल कर एंव अवशोषित कर पूरे शरीर से बाहर निकाल देती है। 

3.पानी से उपचार: स्‍वस्‍छ, ताजे एवं शीतल जल से अच्‍छी तरह से स्‍नान करना जल चिकित्‍सा का एक बढियां रुप है। इससे शरीर के सभी रंद्र खुल जाते हैं, यही नहीं शरीर में हल्‍कापन और स्‍फूर्ती भी आती है। 

4.उपवास भी है फायदेमंद: उपवास को प्राचीन समय से स्‍वस्‍थ्‍य रहने का उत्‍तम साधन माना जाता है। उपवास पाचन प्रणाली को विश्राम देने की प्रक्रिया में खर्च होने वाली ऊर्जा, शरीर से बीमारियों को बाहर निकालने में लग जाती है, यही उपवास का उद्देश्‍य भी है। अगर आपको स्‍वस्‍थ्‍य रहना है तो हफ्ते में एक दिन जरुर उपवास करें। 

5.मालिश भी है जरुरी: मालिश भी स्‍वस्‍थ रहने के लिए आवश्‍यक है, इसका प्रयोग अंग प्रत्‍यंगों को पुष्‍ट करने हुए शरीर के रक्‍त संचार को उन्‍नत करने में होता है। मालिश से शरीर निरोगे रहता है और स्‍फूर्ति बनी रहती है।

कैसी भी हो खांसी, बंद हो जाएगी कालीमिर्च के कुछ दानों को ऐसे चबाने से...

काली मिर्च को मसाले के रूप में पुराने समय से ही उपयोग में लाया जाता है। पिसी काली मिर्च सलाद, कटे फल या दाल शाक पर बुरक कर उपयोग में ली जाती है। इसका उपयोग घरेलु इलाज में भी किया जा सकता है।आज हम आपको बताने जा रहे हैं कालीमिर्च के कुछ ऐसे ही रामबाण प्रयोग।

- काली मिर्च 20 ग्राम, सोंठ पीपल, जीरा व सेंधा नमक सब 10-10 ग्राम मात्रा में पीस कर मिला लें। भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से जल के साथ फांकने से मंदाग्रि दूर हो जाती है। 



- चार-पांच दाने कालीमिर्च के साथ 15 दाने किशमिश चबाने से खांसी में लाभ होता है।



- कालीमिर्च सभी प्रकार के संक्रमण में लाभ देती है। 



- यदि आपका ब्लड प्रेशर लो रहता है, तो दिन में दो-तीन बार पांच दाने कालीमिर्च के साथ 21 दाने किशमिश का सेवन करे। 

- त्वचा पर कहीं भी फुंसी उठने पर, काली मिर्च पानी के साथ पत्थर पर घिस कर अनामिका अंगुली से सिर्फ फुंसी पर लगाने से फुंसी बैठ जाती है। 



- काली मिर्च को सुई से छेद कर दीये की लौ से जलाएं। जब धुआं उठे तो इस धुएं को नाक से अंदर खीच लें। इस प्रयोग से सिर दर्द ठीक हो जाता है। हिचकी चलना भी बंद हो जाती है। 



- काली मिर्च 20 ग्राम, जीरा 10 ग्राम और शक्कर या मिश्री 15 ग्राम कूट पीस कर मिला लें। इसे सुबह शाम पानी के साथ फांक लें। बावासीर रोग में लाभ होता है। 



- शहद में पिसी काली मिर्च मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से खांसी बंद हो जाती है। 



- आधा चम्मच पिसी काली मिर्च थोड़े से घी के साथ मिला कर रोजाना सुबह-शाम नियमित खाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है। 

बादाम की इस अनजानी खूबी को जानकर आप बोल उठेंगे...ओह!



अगर आप डायबिटीज से परेशान है तो यह खबर आपके लिए खुशखबर है कि अपने प्रतिदिन के नाश्ते में बादाम को भी शामिल करें। अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन तथा पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि बादाम खाने में से हानि कारण कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटता है साथ ही इंसुलिन को सक्रिय करता है। इससे ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।



 भारत में इस बीमारी से हैरान-परेशान लोगों की संख्या दिनो-दिन बढ़ती ही जा रही है। आंकड़े तो बताते हैं कि अकेले भारत देश में ही डायबिटीज से ग्रसित लोगों की संख्या 5 करोड़ के स्तर को पार कर चुकी है।



बादाम डायबिटीज में फायदेमंद है यह बात तो हालिया शोध से पता चली है लेकिन इसके दूसरे कई चमत्कारी गुणों के विषय में तो अधिकांश भारतवासी परिचित हैं ही। कमजोर स्मरण शक्ति, मानसिक तनाव, स्नायुदौर्बल्य, हड्डियों की कमजोरी, बौद्धिक क्षमता की कमी...आदि कई बेहद कठिन समस्याओं में भी बादाम का प्रयोग बहुत ही फायदेमंद है।

Thursday, 9 February 2012

ब्‍लीच की जलन से पाएं मुक्‍ती

त्‍वचा काली पड़ जाने पर अक्‍सर आपकी ब्‍यूटीशियन आपको ब्‍लीच करवाने की सलाह देती होगी। पर इसके प्रयोग से त्‍वचा में जलन, लाल चकत्‍ते तथा खुजली मचना आम बात है।ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि ब्‍लीच में मौजूद कठोर रसायन त्‍वचा के लिए बिल्‍कुल भी अच्‍छे नहीं होते। चलिए आज बात करते हैं ब्‍लीच की जलन से आखिर मुक्‍ती कैसे पाई जाए। 

ब्‍लीच की जलन को इस तरह कम करें- 

1.जब भी आप ब्‍लीच करवा कर आईं हो तो अपना मुंह ताज़े पानी से धोएं। यह जलन को धीरे धीरे कम कर देगा। और ध्‍यान रखे की उस दिन कभी भी साबुन या लोशन का प्रयोग न करें। 

2.त्‍वचा पर जलन को कम करने के लिए उस पर बर्फ से मसाज करें इससे जलन कम हो जाएगी। आप चाहें तो एलो वेरा जेल को आइस्‍क्‍यूब ट्रे में जमा कर उससे मसाज करें। 

3.कभी भी ब्‍लीच करवाने के बाद सूरज की रौशनी में सीधे नहीं आना चाहिए वरना त्‍वचा मे जलन और खुजली बढ़ सकती है। इससे त्‍वचा और खराब हो सकती है। आपको ठंडे दूध में रुई भिगों कर अपने चेहरे को साफ करना चाहिए इससे राहत मिलती है। 

4.अपने चेहरे को नारियल पानी से धोएं क्‍योंकि यह एक प्राकृतिक ब्‍लीच बर्न उपचार है। इसका पानी चेहरे पर पड़े लाल दाग को तुरंत ठीक करता है। 

5.अगर आपको अपनी त्‍वचा अंदर से साफ और हाइड्रेटे रखनी है तो पर्याप्‍त कद्दू का जूस या फिर खीरे का जूस पीएं। इन उपायों को आज़माने के बाद आपकी त्‍वचा में कोई परेशानी नहीं आएगी। 

घर पर कैसे बनाएं लिप बाल्‍म

अपने होंठों को सर्दियों से बचाने के लिए उन्‍हें प्राकृतिक तरीके से नमी प्रदान करें। इसके लिए आप खुद ही घर पर लिप बाल्‍म तैयार कर सकती हैं। इसके लिए आपको बस मधु मोम यानी की बी वैक्‍स लेने की जरुरत पड़ेगी जो कि मधु मक्‍खी के छत्‍ते में पाई जाती है। यह बाजार में भी आसानी से मिल जाती है। हमेशा फिल्‍टर किए गए मोम का ही इस्‍तमाल करें क्‍योंकि शुद्ध वैक्‍स में गंदगी और पौलेन मिला होता है। 

इस तरह बनाएं लिप बाल्‍म-

जोजोबा लिप बाल्‍म- एक कटोरी में 2 चम्‍मच बी वैक्‍स और 2 ¼ चम्‍मच जोजोबा तेल लें और उन्‍हें गरम कर लें। फिर उसमें 6-7 बूंदे मौसमी यानी ग्रेप फ्रूट का तेल मिलाएं। अब इस गरम तेल को ठंडा होने के लिए एक कंटेनर में रख दें और अपने होंठों पर लगाएं। 
लेमन लिप बाल्‍म- एक चम्‍मच बी वैक्‍स लें और उसे पिघला लें। अब नींबू की कुछ बूंदे और 4 से 5 बूंदे पेट्रोलियम जेली की उस बी वैक्‍स में मिलाएं। अब इन मिश्रण को गरम आंज पर पिघला लें और एक शीशी में पलट कर प्रयोग करें। 

कोकोनट लिप बाल्‍म- इसको बनाने के लिए सबसे पहले 2 चम्‍मच बी वैक्‍स और 2 ¼ चम्‍मच जोजोबा ऑयल लें। अब इसको साथ में मिला कर गर्म कर लें और आंच को बंद कर दें। अब इसमें 6 से 7 बूंदे नारियल तेल की मिला लें। इस मिश्रण को गरम ही एक कंटेनर में पलट लें और ठंडा कर के प्रयोग करें। 

हनी लिप बाल्‍म- इसके लिए आपको 1 चम्‍मच पेट्रोलियम जेली और 1/3 चम्‍मच शहद को एक साथ मिलाने की जरुरत होगी। इनको एक साथ मिला कर आंच पर गरम कर लें और गरम ही एक शीशी में पलट लें। बन गया आपका हनी लिप बाल्‍म प्रयोग करने के लिए।

अगर आप गंजे हैं तो इससे होगा लाभ

आजकल की भाग दौड भरी जिंदगी, काम का ज्‍यादा प्रेशर और बालों की देखभाल न करना ही पुरुषों में गंजेपन का एक आम कारण बन गया है। ज्‍यादातर यह समस्‍या 25 से 35 साल की उम्र के पुरुषों में देखने को मिल रही है। अक्‍सर पुरुष भूल जाते हैं कि बालों को भी ठीक उसी तरह से केयर की जरुरत पड़ती है जैसा कि शरीर को। अगर आपके बाल बहुत तेजी से गिर रहे हैं तो और आप गंजे हो रहे हैं तो हमारे दिए गए टिप्‍स को जरुर आजमाएं- 

ऐसे करें देखभाल- 

गीलों बालों की देखभाल- ध्‍यान रहे की आपके बाल आपके शरीर की तरह मजबूत नहीं हैं। इसलिए इनकी देखभाल अच्‍छे से करनी चाहिए खासकर की जब यह गीले हों। तौलिए से इसे जोर जोर से नहीं रगडना चाहिए वरना यह और भी ज्‍यादा टूटेगें साथ ही जो नए और छोटे बाल निकल भी रहे होगें उन पर भी असर पडेगा।

प्राकृतिक कंघी- जिस प्राकृतिक कंघी की बात हम कर रहे हैं वह और कुछ नहीं बल्कि आपके अपने हाथ हैं। गीले बलों को झाडने के लिए कडे ब्रश वाली कंघी सही नहीं होती। जब आपके बाल नाजुक अवस्‍था में होते हैं तो यह उन्‍हें खीचं कर नुक्‍सान पहुंचाती है। इसके अलावा यह सिर की त्‍वचा को भी हानि पहुंचाती है। पहले गीले बालों को अपनी उंगलियों से ठीक कर लें और जब यह सूख जाएं तो इस पर कंघी चलानी चाहिए। 

हेयरकट करवाएं- जब भी आपको लगे कि गंजेपन की शुरुआत होने लगी है तो तुरंत ही अपने बालों को छोटा करवा लें। छोटे बालों को गीले होने के बाद सूखने में बिल्‍कुल भी देर नहीं लगती। बालों को छोटा रखने से बिना किसी नुक्‍सान के स्‍टाइलिश लगेगें। 

हेयर ट्रीटमेंट और स्टाइलिंग उत्पादों से बचें- अगर बाल कमजोर हैं तो उन्‍हें स्‍ट्रेट या फिर कर्ली नहीं करवाने चाहिए। इसके अलावा ना तो उस पर जेलय या हेयर कलर करना चाहिए क्‍योंकि इन उत्‍पादों में रसायन मिले होते हैं जो बालों को तुरंत ना खराब कर के धीरे धीरे अपना असार दिखाते हैं। ऐसे प्रोडक्‍ट बालों को दुबारा उगने में बाधा करते हैं। 

हर्बल जैसा कुछ भी नहीं है- अगर आप अपने सिर की किसी अच्‍छे हर्बल तेल से मसाज करेगें तो आपके बाल का झड़ना काफी कम हो जाएगा। आप चाहें तो ऐसे हेयर प्रोड्क्‍ट इस्‍तमाल कर सकते हैं जिसमें मिनॉक्‍सीडिल मिला हुआ हो, यह वैज्ञानिक रूप से बाल के नुकसान को कम करने के लिए सिद्ध किया गया है।

डाइट सोडा: वजन बढाता है या घटाता है?

वजन कम करने के लिए डाइट सोडा एक प्रभावशाली पेय माना जाता है। कई वजन कम करने वालों का यह मानना है कि भोजन के बाद इसका सेवन करने से शरीर की एक्‍स्‍ट्रा कैलोरी बर्न होती। क्‍या यह सच है? क्‍या डाइट सोडा पीने से आपके वजन में सच-मुच कोई कमी आई है या फिर आपका वजन और बढ गया है? चलिए जानते हैं इसके पीछे का राज़। 

1.कार्बोनेटेड ड्रिंक खासतौर पर डाइट सोड़े में कैलोरीज़ पाई जाती हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती हैं। इसको पीने से शरीर पर पहले तो प्रभाव नहीं पडेगा पर धीरे धीरे आप का वजन बढने लगेगा। 

2.इसमें पाई जाने वाली कृत्रिम मिठास शरीर में ब्‍लड शुगर को बढ़ा सकती है। अगर ब्‍लड शुगर बढ गई तो डायबीटीज होने का खतरा बढ़ सकता है। 

3.यह माना जाता है कि डाइट सोडे में कम कैलोरी होती है पर आपके लिए यह जानना जरुरी है कि कोई भी ड्रिंक जिसमें कृत्रिम स्‍वीटनर मिला होता है वह हर एक ड्रिंक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खराब और वजन को बढाने वाली होती है। डाइट सोडे में तरह तरह के यानी की सैक्‍रीन, सूकरालोज़ और नीयोटेम नामक शुगर सब्स्टिटूट मिले होते हैं, जो की वजन बढाने का कार्य करते हैं। 

4.मीठे पेय आपकी टेस्‍ट बड को नुक्‍सान पहुंचा सकते हैं। इसको पीने की लत पड़ सकती है और इसकी वजह से आपकी डाइट पर असर पड़ सकता है। 

5.डाइट सोडा पीने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। कई लोग प्‍यास लगने पर पानी न मिलने पर साफ्ट ड्रिंक का उपभोग कर लेते हैं जो डीहाइड्रेशन का कारण बन सकता है। प्‍यास लगने पर हमेशा पानी ही पीना चाहिए।

अचूक उपाय: न होगा आपरेशन न दर्द आसानी से हो जाएगी डिलेवरी

 मां होने का एहसास हर औरत के लिए बहुत खास होता है। लेकिन डिलेवरी के समय होने वाला दर्द बहुत अधिक होता है अगर ये दर्द कम हो जाए तो मां बनने का दर्द और भी अधिक सुखद हो सकता है। इसीलिए डिलेवरी  से पहले यानी गर्भावस्था के दौरान बद्धकोणासन करें। इस आसन से प्रसव पीड़ा कम होती है। साथ ही यह आसन पुरुष भी कर सकते हैं जिससे शरीर के कई रोग दूर होते हैं।



बद्धकोणासन की विधि-



समतल स्थान पर कंबल या अन्य कोई कपड़ा बिछाकर दोनों पैरों को सामने की ओर करके बैठ जाएं। फिर दोनों घुटनों को मोड़ते हुए पैरों के पास ले आएं और दोनों पैरों के तलवें आपस में मिलाएं। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़ लें। पैरों की उंगुलियों को दोनों हाथों से पकड़ लें और रीढ़ को सीधा रखें जैसे तितली आसन में बैठा जाता है। बाजू को सीधा करें और पैरों को ज्यादा से ज्यादा पास लाने का प्रयास करें जिससे आपका शरीर तन जाए।



यह इस आसन की प्रारंभिक स्थिति है। गहरी सांस भरें और सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर से आगे इस प्रकार झुकें कि रीढ़ और पीठ की माँसपेशियों में खिंचाव बना रहे। प्रयास करें की आपका सिर जमीन से स्पर्श हो जाए। अगर ये संभव ना हो तो अपनी ठुड्डी को पैरों के अंगूठे से सांस को सामान्य कर लें। अंत में सांस भरते हुए वापस प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं. दो या तीन बार इस आसन का अभ्यास करें।



बद्ध कोणासन की प्रारंभिक स्थिति तितली आसन जैसी ही है। गर्भवती महिलाएं इन दोनो आसनों का अभ्यास योग शिक्षक की सलाह लेकर पहले 6 महीने तक कर सकती है।



गर्भवती महिलाएं विशेष ध्यान रखें कि वे बद्ध कोणासन में आगे की तरफ ना मुड़ें। उन्हें केवल बैठने का अभ्यास ही करना है और रीढ़ को सीधा रखना है ठीक उसी तरह जिस तरह तितली आसन में बैठा जाता है।



इसके अतिरिक्त पद्मासन में बैठकर पर्वतासन का अभ्यास करना भी सरल है। वैसे सभी वर्ग के लोग पर्वतासन का अभ्यास कर सकते हैं।



बद्ध कोणासन के लाभ-



जो बद्ध कोणासन का अभ्यास करते हैं उन्हें किडनी, यूरीनरी ब्लैडर और प्रोस्टेट की समस्या नहीं होती।बद्ध कोणासन श्याटिका के दर्द को दूर करने में सहायक है। जो इस आसन का नियमित अभ्यास करते हैं उन्हें भविष्य में हर्निया की समस्या भी नहीं होती। गर्भवती महिलाएं भी बद्ध कोणासन को नियमित रूप से एक या दो मिनट तक बैठने का अभ्यास कर सकती हैं। गर्भवती महिलाएं सिर्फ बैठने का ही अभ्यास करेंगी, आगे की ओर बिल्कुल नहीं झुकेंगी। इस आसन के अभ्यास से प्रसव के दौरान कम से कम पीड़ा होगी।

काली कोहनियों से परेशान लोगों के लिए ये है रामबाण उपाय

अगर आप अपनी सांवली रंगत से परेशान हैं और कई तरह के क्रीम और दवाओं का उपयोग करने के बाद भी रंगत में कोई फर्क महसूस नहीं हो रहा हों तो घबराइए नहीं कुछ आसान आयुर्वेद नुस्खे ऐसे हैं जिनसे आपका सांवलापन दूर हो सकता है।

-  एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है (इस विधि को करने से त्वचा से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जाते हैं )।

- आंवले का मुरब्बा रोज एक नग खाने से दो तीन महीने में ही रंग निखरने लगते है।

- कोहनियों का कालापन साफ करने के लिए गुलाब जल व ग्लिसरीन में नींबू रस मिलाकर लोशन तैयार करें। इस लोशन को पांच मिनट तक धूप में रखें। फिर कोहनियों पर मलें।

-  गाजर का रस आधा गिलास खाली पेट सुबह शाम लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है।

- दही से सिर धोने से केश मुलायम, घने, काले और चमकदार तथा लंबे होते हैं। 

-  प्रतिदिन खाने के बाद सोंफ का सेवन करें।

-  पेट को हमेशा दुरुस्त रखें, कब्ज न रहने दें।

- दो छोटे चम्मच बेसन में आधी छोटी चम्मच हल्दी मिलाकर खूब फेंटें। फिर इस लेप में दस बूंद गुलाब जल व दस बूंद नींबू मिलाकर खूब फेंटे। स्नान से पूर्व इस लेप को चेहरे पर मलें। आधे घंटे उपरांत चेहरे को धो लें।

-  अधिक से अधिक पानी पीएं।

- चाय-कॉफी जैसे धीमे जहर से यथ संभव दूर रहें।

- हाथ पैर एवं चेहरे का सौंदर्य बढ़ाने में दही सर्वोत्तम है। दो बड़े चम्मच दही लेकर हाथ पैर एवं चेहरे पर मलें। दस मिनट उपरांत धो लें। आपकी त्वचा चिकनी एवं साफ हो जाएगी। यह प्रयोग तीन हफ्ते तक करने से आपकी सुंदरता में गजब का निखार आने लगेगा।

- रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सौंफ  खाने से खून साफ  होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।

Tuesday, 7 February 2012

अजीनोंमोटो के साइड इफेक्‍ट

सफेद रंग का चमकीला सा दिखने वाला मोनोसोडि़यम ग्‍लूटामेट यानी की अजीनोंमोटो, एक सोडियम साल्‍ट है। अगर आप चाइनीज़ डिश के दीवाने हैं तो यह आपको उसमें जरुर मिल जाएगा क्‍योंकि यह एक मसाले के रुप में उसमें इस्‍तमाल किया जाता है। शायद ही आपको पता हो कि यह खाने का स्‍वाद बढ़ाने वाला मसाला, सेहत के लिए भी बहुत खतरनाक होता है। चलिए जानते हैं कि कैसे- 
साइड इफेक्‍ट- 

1.सिर दर्द, पसीना आना और चक्‍कर आने जैसी खतरनाक बीमारी आपको केवल अजीनोमोटो से हो सकती है। अगर आप इसके आदि हो चुके हैं और खाने में इसको बहुत प्रयोग करते हैं तो यह आपका ब्रेन भी डैमेज कर सकता है। 

2.इसको खाने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। चेहरे की सूजन और त्‍वचा में खिचाव महसूस होना इसके कुछ साइड इफेक्‍ट हो सकते हैं। 

3.इसका ज्‍यादा प्रयोग से धीरे धीरे सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्‍कत और आलस भी पैदा कर सकता है। इससे सर्दी-जुखाम और थकान भी महसूस होती है। इसमें पाये जाने वाले एसिड सामग्रियों की वजह से यह पेट और गले में जलन भी पैदा कर सकता है। 

4.पेट के निचले भाग में दर्द, उल्‍टी आना और डायरिया इसके आम दुष्प्रभावों में से एक हैं। 

5.अजीनोमोटो आपके पैरों की मासपेशियों और घुटनों में दर्द पैदा कर सकता है। यह हड्डियों को कमज़ोर और शरीर दा्रा जितना भी कैल्‍शिम लिया गया हो, उसे कम कर देता है। 

6.ब्‍लड प्रेशर की समस्‍याओं से घिरे लोगों को यह बिल्‍कुल नहीं खाना चाहिए क्‍योंकि इससे अचानक ब्‍लड प्रेशर बढ़ और घट जाता है। 

7.व्‍यक्तियों को इससे माइग्रेन होने की समस्‍या भी हो सकती है। आपके सिर में दर्द पैदा हो रहा है तो उसे तुरंत ही खाना बंद कर दें।

औषधीय गुणों से भरपूर लौकी

सब्‍जी के रुप में खाए जाने वाली लौकी हमारे शरीर के कई रोगों को दूर करने में सहायक होती है। यह बेल पर पैदा होती है और कुछ ही समय में काफी बड़ी हो जाती है। वास्‍तव में यह एक औषधि है और इसका उपयोग हजारों रोगियों पर सलाद के रूप में अथवा रस निकालकर या सब्‍जी के रुप में एक लंबे समय से किया जाता रहा है। 

लौकी को कच्‍चा भी खाया जाता है, यह पेट साफ करने में भी बड़ा लाभदायक साबित होती है और शरीर को स्‍वस्‍य और शुद्ध भी बनाती है। लंबी तथा गोल दोनों प्रकार की लौकी वीर्यवर्ध्‍दक, पित्‍त तथा कफनाशक और धातु को पुष्‍ट करने वाली होती है। आइए इसकी औषधीय गुणों पर एक नज़र डालते हैं- 

1. हैजा होने पर 25 एमएल लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। इससे मूत्र बहुत आता है। 

2.खांसी, टीबी, सीने में जलन आदि में भी लौकी बहुत उपयोगी होती है। 

3.हृदय रोग में, विशेषकर भोजन के पश्‍चात एक कप लौकी के रस में थोडी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। 

4.लौकी में श्रेष्‍ठ किस्‍म का पोटेशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है। 

5.लौकी श्‍लेषमा रहित आहार है। इसमें खनिज लवण अच्‍छी मात्रा में मिलती है। 

6.लौकी के बीज का तेल कोलेस्‍ट्रॉल को कम करता है तथा हृदय को शक्‍ति देता है। यह रक्‍त की नाडि़यों को भी स्‍वस्‍थ बनाता है। लौकी का उपयोग आंतों की कमजोरी, कब्‍ज, पीलिया, उच्‍च रक्‍तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, शरीर में जलन या मानसिक उत्‍तेजना आदि में बहुत उपयोगी है।

थकान और वर्कलोड से परेशान लोग एक बार जरूर करें ये अनोखा काम


काम के बहुत अधिक बोझ व सही समय पर संतुलित खाना न होने से। अधिकांश लोगों के साथ थकान की समस्या बनी रहती है।ऑफिस कार्य ज्यादातर बैठे रहने वाला होता है ऐसे में बैठे-बैठे भी थकावट महसूस होने लगती है। थकान से कई अन्य समस्याएं शुरू हो जाती है शरीर की रोगप्रतिरोधी क्षमता घटती जाती है। इन सभी से बचने के लिए जरूरी है कुछ व्यायाम जरूरी है। थकान से बचने के लिए सबसे सरल और कारगर उपाय है भूनमनासन। इस आसन से कुछ ही दिनों में आपकी थकान दूर हो जाएगी और हर कार्य पूरी स्फूर्ति के साथ कर सकेंगे।यह आसन कमर और रीढ़ के लिए काफी लाभदायक है। इसमें हम शरीर को पीछे या आगे की ओर न झुकाकर दाएं या बाएं घुमाते हैं। इससे लंबे समय तक बैठने या खड़े होने से आई थकावट दूर होती है। भूनमनासन की विधि- समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर बैठ जाएं। दोनों पैर सामने रखें। शरीर को सीधा रखकर सांस भरिए। कमर से ऊपर के भाग को सीधे हाथ की ओर मोड़ें और दोनों हथेलियों को जमीन पर दाहिनी तरफ रखें। अब सांस छोड़ते हुए अपने सिर को जमीन से छूने का प्रयास करें। इस स्थिति में कुछ क्षण रुके। सांस सामान्य रखें। इसके बाद सांस भरते हुए शरीर को ऊपर की ओर लाएं और सांस को छोड़ते हुए शरीर को सीधा कर लें। ऐसे ही दूसरी और से इस प्रक्रिया को करें। 
भूनमनासन के लिए सावधानियां

- इस आसन को सभी आसनों के अंत में करें।

- भू-नमनासन करते समय अपना ध्यान पीठ और कंधे की मांसपेशियों पर लगाकर रखें।

- आसन के दौरान कोशिश करें कि रीढ़ की हड्डी सीधी रहे और शरीर का वजन हाथों पर आए।

- इससे रीढ़ की हड्डी और कमर के निचले हिस्से का तनाव कम होता है।

- गर्भवती महिलाएं शुरूआत के तीन महीनों तक इस आसन का अभ्यास कर सकती हैं। इसके बाद इस आसन को न करें।

- जिन लोगों को हार्नियां और अल्सर की परेशानी हो वे भी इस आसन को न करें।

थकान और वर्कलोड से परेशान लोग एक बार जरूर करें ये अनोखा काम


काम के बहुत अधिक बोझ व सही समय पर संतुलित खाना न होने से। अधिकांश लोगों के साथ थकान की समस्या बनी रहती है।ऑफिस कार्य ज्यादातर बैठे रहने वाला होता है ऐसे में बैठे-बैठे भी थकावट महसूस होने लगती है। थकान से कई अन्य समस्याएं शुरू हो जाती है शरीर की रोगप्रतिरोधी क्षमता घटती जाती है। इन सभी से बचने के लिए जरूरी है कुछ व्यायाम जरूरी है। थकान से बचने के लिए सबसे सरल और कारगर उपाय है भूनमनासन। इस आसन से कुछ ही दिनों में आपकी थकान दूर हो जाएगी और हर कार्य पूरी स्फूर्ति के साथ कर सकेंगे।यह आसन कमर और रीढ़ के लिए काफी लाभदायक है। इसमें हम शरीर को पीछे या आगे की ओर न झुकाकर दाएं या बाएं घुमाते हैं। इससे लंबे समय तक बैठने या खड़े होने से आई थकावट दूर होती है। भूनमनासन की विधि- समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर बैठ जाएं। दोनों पैर सामने रखें। शरीर को सीधा रखकर सांस भरिए। कमर से ऊपर के भाग को सीधे हाथ की ओर मोड़ें और दोनों हथेलियों को जमीन पर दाहिनी तरफ रखें। अब सांस छोड़ते हुए अपने सिर को जमीन से छूने का प्रयास करें। इस स्थिति में कुछ क्षण रुके। सांस सामान्य रखें। इसके बाद सांस भरते हुए शरीर को ऊपर की ओर लाएं और सांस को छोड़ते हुए शरीर को सीधा कर लें। ऐसे ही दूसरी और से इस प्रक्रिया को करें। 
भूनमनासन के लिए सावधानियां

- इस आसन को सभी आसनों के अंत में करें।

- भू-नमनासन करते समय अपना ध्यान पीठ और कंधे की मांसपेशियों पर लगाकर रखें।

- आसन के दौरान कोशिश करें कि रीढ़ की हड्डी सीधी रहे और शरीर का वजन हाथों पर आए।

- इससे रीढ़ की हड्डी और कमर के निचले हिस्से का तनाव कम होता है।

- गर्भवती महिलाएं शुरूआत के तीन महीनों तक इस आसन का अभ्यास कर सकती हैं। इसके बाद इस आसन को न करें।

- जिन लोगों को हार्नियां और अल्सर की परेशानी हो वे भी इस आसन को न करें।

इनसे कोई भी पा सकता है चमचमाते सफेद दांत

खूबसूरती के मापदंड में चेहरे में नयन और नक्श के बाद दांतों की बनावट और दिखावट का महत्वपूर्ण स्थान होता है। साफ सफेद और चमकते दांत किसी भी चेहरे की खूबसूरती में चार चांद लगा सकते हैं।

- आजकल के बच्चों के दांत सफेदद-सुन्दर नहीं होते क्योंकि टूथपेस्ट में डले हुए फ्लोराईड से दांत और हमारे शरीर की हड्डियां गलने, खराब होने लगती हैं। इस पर अनेक शोध हो चुके हैं। अत: पेस्ट के स्थान पर किसी आयुर्वेदिक या प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बने हुए मंन्जन का प्रयोग करना चाहिये।

- कभी-कभी अवसर मिलने पर नीम, बबूल, बिल्व आदि पेड़ों से प्राप्त दांतुन भी करते रहना चाहिये।

- मल-मूत्र त्याग के समय दांत दबाकर बैठें और बाद में कुल्ला कर लें। इससे भी दांत मजबूत बनते हैं। असल में मल-मूत्र त्याग के समय हमारे दांतों की जडों में कुछ तेजाबी पदार्थ एकत्रित होकर उनकी जडों को कमजोर बना देते हैं। कुल्ला करने से ये तेजाबी तत्व निकल जाते हैं। हमारे पूर्वज तभी तो मल-मूत्र त्याग के बाद सदा कुल्ला किया करते थे।

ये एक बात याद रखेंगे तो ओवर वेट नहीं होंगे,हो गए हैं तो जल्दी ही स्लिम हो जाएंगे


अक्सर महिलाएं वजन कम करने के लिए डाइटिंग को चुनती हैं,पर अब शायद इस कहावत के मतलब बेमानी हो जाए, सुबह का नाश्ता राजा की तरह, दिन का खाना राजकुमार की तरह और रात्रि का भोजन भिखारी के तरह करना चाहिए- क्यूंकि नया वजन कम करने का जीवन मंत्रा कुछ ऐसा है..- लगातार थोड़ा-थोड़ा स्वस्थ भोजन खाए जाओ और वजन कम किए जाओ - ....हैं न मजेदार बात।

यदि आप वाकई अपना वजन कम करना चाहते हैं, तो अपने भोजन को खानों ( दो के बीच का अंतर ) में बाँट दें। महिलाओं में कराये गए एक अध्ययन के मुताबिक यदि आप दिन में कई बार थोड़े-थोड़े अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा संतुलित आहार लेते हैं तो आपका वजन उनकी तुलना में कम ही बढ़ता है,जो दिन में तीन से चार बार भारी खाना लेते हैं। इस शोध के अनुसार यदि आप थोड़े-थोड़े अंतराल पर भोजन लेते हैं, तो शरीर इसके लिए अभ्यस्त होकर सक्रिय जाता है और ऊर्जा को चर्बी के रूप में संचित नहीं करता है।

लेकिन ध्यान रहे कि थोड़े - थोड़े अंतराल पर खाने का सम्बन्ध केवल स्वस्थ भोजन से है, न कि जंक फूड से। इस अध्ययन का निष्कर्ष यह है कि एक बार में ही अधिक भोजन लेने के स्थान पर थोड़े अंतराल पर स्वस्थ भोजन लेना चाहिए। आयुर्वेद भी सम्पूर्ण उदर को एक ही बार भोजन से भर लेने को वज्र्य माना गया है, तो महिलाएं यदि आप अपने फि गर के लिए चिंतित हों और डाइटिंग को एक विकल्प के तौर पर ले रही हों तो भूल जाएं डाइटिंग और याद रखें नया फंडा थोड़ा खाओ लगातार खाओ और वजन कम करो .........!!

Monday, 6 February 2012

प्रेगनेंट होने के लिए करें यह व्‍यायाम

अगर आप मां बनने की सोंच रही हैं तो व्‍यायाम को कभी न भूलें। एक बेहरत ढंग से किया गया व्‍यायाम न केवल आपके शरीर को फिट रखेगा बल्कि जब आप गर्भकाल में होगीं तब भी कोई परेशानी नहीं पैदा होगी। गर्भ धारण करने से पहले आपको एक स्‍वस्‍थ्‍य तरीके का व्‍यायाम करना चाहिए जिससे आप एक स्‍वस्‍थ्‍य और सुंदर बच्‍चे को जन्‍म दे सकें। एक नज़र डालिये इस लेख पर और जानिये कि आप किस तरह से इन व्‍यायाम को करने से जल्‍द से जल्‍द प्रेगनेंट हो सकती हैं। 

1. जब आप गर्भ धारण करने की योजना बना रहीं हों, तो आपको कुछ सरल व्यायाम करने चाहिए जो समय पर ओव्‍युलेशन का समय सुनिश्चित करे। 

2. इन दिनों किया गया व्‍यायाम रेगुलर व्‍यायामों से काफी अलग होता है। कभी भी स्‍ट्रेचिंग, रस्‍सी कूद और भंयकर व्‍यायाम न करें वरना इससे मिसकैरेज हो सकता है। 

3. चलना एक सबसे प्रभावी व्यायाम है। हर रोज़ धीमी गति से चलना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभकर है। जब आप कंसीव कर लें तब भी इस अभ्यास को जारी रख सकती हैं। 

4. यह तो हम सब जानते हैं कि साइकलिंग करना शरीर के लिए कितना लाभकारी होता है। इससे पैर और जांघ की मासपेशियों में खून का प्रभाव बढ़ता है। साथ ही यह वजन को कम करता है और पेडू की मासपेशियों को मजबूत भी करता है। 

5. ध्‍यान लगाएं। यह एक प्रभावशाली योगा है जो दिमाग और शरीर को आराम पहुंचाता है। जब एक महिला प्रेगनेंट होने के बारे में सोंचती है तब वह काफी तनाव से भर उठती है, जिससे कंसीव करने में देरी हो जाती है। ध्‍यान लगाने से शरीर में ब्‍लड सर्कुलेशन बढता है और शरीर को शांती मिलती है। इसलिए यह व्‍यायाम जरुर करें। 

6. महिलाओं के लिए तैराकी एक सबसे उत्‍तम व्‍यायाम है। स्‍विमिंग लैप्‍स, ग्रुप वॉटर एक्‍सरसाइज और पूल जॉगिंग, यह सारे व्‍यायाम काफी लाभदायक होते हैं। आप चाहें तो कंसीव करने के बाद भी इस व्‍यायाम को चालू रख सकती हैं, पर अपने डॉक्‍टर से सलाह लेना न भूलें।

जल्‍दी प्रेगनेंट होने के लिए खाएं यह आहार

यह तो हम सब जानते हैं कि सही प्रकार का किया गया भोजन हमारे शरीर को फिट रखने में कारगर होता है। इसी तरह से जब आप प्रेगनेंट होना चाहती हैं तब आप हर उस आहार को ट्राई करना चाहती हैं जो आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सही हो। गर्भावती महिलाओं को हमेशा यह सलाह दी जाती है कि वह कुछ भी ऐसा वेसा ना खाएं जो उनको नुक्‍सान पंहुचाए। पर क्‍या आपको पता है कि कुछ इस प्रकार के आहार हैं जिन्‍हें खा कर आप जल्‍दी प्रेगनेंट हो सकती हैं। चलिए जानते हैं इनके बारे में। 

आहार जो आपके लिए फायदेमंद हैं

1. सबसे पहले जरुरत है ऐसे जैविक फलों की जो ताजे हों। कभी भी डिब्‍बा बंद भोजन और फल न खरीदें वरना यह आपके होने वाले बच्‍चे को नुक्‍सान पहुंचा सकता है। 

2. रेशा युक्‍त आहार करने से पेट साफ रहता है और इससे शरीर की सारी गंदगी भी दूर निकल जाती है। इसलिए आपको आपने भोजन में साबुत आनाज, भूरा चावल, सन बीज, पूरे गेहूं की रोटी, बीन्स, जई, और मूंगफली खानी चाहिए। 

3. हरी पत्‍तेदार सब्जियां जिसमें पालक गर्भावती महिलाओं के लिए सबसे उपयुक्‍त आहार होता है। इस सब्‍जी में लोह, एंटीऑक्‍सीडेंट और फॉलिक एसिड पाया जाता है जो जो प्रजन्‍न अंगों के लिए अच्‍छा होता है। 

4. फोलिक एसिड से भरपूर खाद्य गर्भवती होनें में तेजी से मदद करता है फोलिक एसिड प्रजनन प्रणाली में तेजी के साथ गर्भ धारण करने के लिए अंडे का उत्पादन बढ़ता है। सोया उत्पादों, सेम विभाजन, अंडे की जर्दी, आलू, गेहूं का आटा, गोभी, चुकंदर, केले, ब्रोकोली, और ब्रुसेल्स के अंकुर फोलिक एसिड की मात्रा में ज्‍यादा होते हैं। 

5. अक्सर अनियमित मासिक भी महिलाओं के साथ एक बड़ी समस्या है। जल्‍द गर्भधारण करने के लिए आपका मासिक बिल्‍कुल ठीक होना चाहिए। अगर आप मटर, गाजर, शकरकंद और ग्रेप फ्रूट खाने से नियमित मासिक होगा। 

6. दूध के उत्‍पाद न केवल कैल्शिम में ज्‍यादा होते हैं बल्कि उससे गैसटेशन फरटिलिटी हॉरमोन जल्‍द बनता है। दही, अंडा, दूध के अलावा आपको मछली खानी चाहिए ज। 

7. बादाम, अखरोट, और खुबानी ओमेगा 3 फैटी एसिड में अत्‍यधिक होते हैं, जो हेल्‍दी वसा होता है।

शिशुओं के लिए सबसे सर्वश्रेष्‍ठ आहार

बच्‍चा जब भी खाना सीखता है तो हम तरह तरह के आहार उसके लिए बनाना शुरु कर देते हैं। कई मांए तो इंटरनेट पर भी अपनी खोज बीन जारी रखती हैं पर इंटरनेट पर हमें ज्‍यादातर विदेशी भोजन या आहार ही मिलते हैं, जिसे भारतीय बच्‍चे इतना पसंद नहीं करते। हमारे भारतीय व्‍यंजनों में ही इतना कुछ पौष्टिक आहार है कि अगर हम उसे अपने शिशु को दें तो उसके जल्‍दी बढ़ने बौर शरीर में मजबूती होने के आसार काफी बढ़ जाएगें।

शिशुओं के लिए पौष्टिक आहार: 

1. दही चावल: यह उन बच्‍चों कि लिए बहुत लाभकारी है जिन्‍होनें तुरंत ही खाना सीखा हो। चावल, चीनी और दूध मिला कर तैयाद किया जाने वाल यह भोजन बिल्‍कुल भी मसालेदार नहीं होता और खाने में हल्‍का भी होता है। इसे खाने से आपके बेबी को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और चीनी से एनर्जी मिलेगी। 

2. घी रोटी: घी खाने से हड्डियों को ताकत मिलती है और वह मजबूत बनती हैं। आम तौर पर हमारे घरों में रोटियां थोडी ठोस बनती हैं इसलिए अगर उसमें घी लगा कर बच्‍चे को खिलाया जाए तो वह उसे अच्‍छे से निगल लेगा। अच्‍छा होगा कि अगर आप घी को बाजार से लाने के बजाए घर पर ही बनाएं। 

3. मलाई चिकन या बेजिटेबल करी: हमारे भारतीय भोजन में सब्जि को चावल और दाल को रोटी के साथ खाये जाने की प्रथा है। इसलिए अगर आप भी चाहती हैं कि आपका बच्‍चा इस भोजन को प्‍यार और मजे के साथ खाए तो सब्जि को बनाते वक्‍त उसमें मसाला ना डालकर उसमें थोडा सा क्रीम डालें। आप उसमें दही या फिर काली मिर्च का उपयोग भी कर सकती हैं। इसमें ढेर सारी सब्जियां या फिर चिकन डाल कर खिलाएगीं तो बच्‍चे को पोषण मिलेगा। 

4. खिचड़ी: यह बहुत ही आम सा भोजन है जिसे बच्‍चे बडे ही प्‍यार से खाते हैं। इसको बनाने के लिए आप तरह तरह की दालों और सब्जियों का प्रयोग कर सकती हैं। य‍कीन मानिए कि इसमें इतना पौष्टिक तत्‍व भरा होगा जिसकी आप कामना भी नहीं कर सकतीं। 

5. दलिया: भारत में यह ऐसा आहार है जिसे बच्‍चे और बूढ़े बडे मन से खाते हैं। यह गेंहु से बना हुआ होता है जिसे पचने में ज्‍यादा समय नहीं लगता। इसमें रेशा काफी मात्रा में पाया जाता है जिससे बच्‍चे को पेट संबधित कोई बीमारी नहीं होगी। बच्‍चे के लिए बनाने के लिए इसमें आप सब्जियों और घी का प्रयोग कर सकतीं हैं।

सीजेरियन के बाद पेट पर पड़े निशान को ऐसे मिटाएं

कई महिलाओं को सिज़ेरीअन दा्रा शिशु को जन्‍म देने में बस एक ही बात से नफरत होती है कि उनके पेट पर गहरे निशान बन जाते हैं जो कई कोषिशों के बाद भी जाने का नाम नहीं लेते। यह निशान इतने गहरे होते हैं कि इन्‍हें आसानी से मिटाया नहीं जा सकता, पर हां इन्‍हें घरेलू उपचार दा्रा कम जरुर किया जा सकता है। 

घरेलू उपचार- 

नींबू- यह निशान को कम करने के रूप में सबसे अच्छा प्राकृतिक उपचार माना जाता है। चीरा लगने के 6 महीने के बाद निशान पर नींबू स्लाइ लगाना चाहिए। जब तक टांके पूरी तरह से सूख न जाएं तब तक अपने चीरे पर कुछ नहीं लगाना चाहिए। यदि आपकी त्वचा नींबू का रस लगाने के बाद जलती है तो नींबू के रस को पानी मिला कर पतला कर लें। कभी भी रस को 3-4 मिनट से ज्‍यादा त्‍वचा पर न रखें। 

टमाटर- टमाटर के गूदे या फिर इसके पेस्‍ट को अपने पेट के निशान पर लगभग 20-30 मिनट तक के लिए लगा कर छोड़ देना चाहिए। निशान हटाने के लिए इसका प्रयोग रोज़ करना चाहिए। 

एलोवेरा- ऐलोवेरा के पेड़ से उसके अंदर का जेल निकाल लें और रात भर लगा कर छोड़ दें। सुबह होते ही ठंडे पानी से इसे धो लें और लोशन लगा लें। 

सेब का सिरका- निशान को हटाने के लिए सेब के सिरके को पानी में घोलें और उसे 20 मिनट के लिए निशान पर लगाएं। इसके बाद गरम पानी से उस जगहं को साफ कर लें। इससे आपको जरुर फायदा होगा। 

गर्भ नहीं ठहरता हो तो सौंफ को खाएं इस तरह

गर्भधारण करने के बाद महिला को सौंफ और गुलकन्द मिलाकर पानी के साथ पीसकर हर रोज नियमित रूप से पिलाने से गर्भपात की आशंका समाप्त हो जाती ह...